न्यूयॉर्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ मालदीव में राजनीतिक संकट सहित दक्षिण एशिया और भारत प्रशांत क्षेत्र के घटनाक्रमों पर व्यापक चर्चा की। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, "दोनों नेताओं ने मालदीव में राजनीतिक संकट पर चिंता जताई और लोकतांत्रिक संस्थानों और कानून का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया।" दोनों नेताओं के बीच गुरुवार को टेलीफोन वार्ता हुई थी। बयान के मुताबिक, ट्रंप की दक्षिण एशिया नीति को दोहराते हुए दोनों नेताओं ने भारत प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ाने और सुरक्षा एवं आर्थिक सहयोग को मजबूत करने की दिशा में मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि वे अप्रैल में भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों की बैठक को लेकर आश्वस्त हैं।
दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान का उल्लेख करते हुए हिंसाग्रस्त देशों में सुरक्षा और स्थिरता की बहाली के प्रयास जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई। बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों की दशा से निपटने को लेकर भी चर्चा की। उत्तर कोरियाई मुद्दे पर भी चर्चा की गई। इस दौरान मोदी और ट्रंप ने प्योंगयांग को परमाणु निरस्त्रीकरण करने के तरीकों पर चर्चा की।
चीन, मालदीव के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की दिशा में काम कर रहा है यही वजह है कि वह मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का समर्थन भी कर रहा है। वहीं, भारत और अमेरिका ने मालदीव में आपातकाल के ऐलान का विरोध किया है और वे वहां लोकतंत्र की बहाली चाहते हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देश के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और छह अन्य से आतंकवाद के आरोप हटाने के बाद इन्हें रिहा करने के आदेश दिए गए थे, जिसे मौजूदा राष्ट्रपति ने मानने से इनकार कर दिया और सोमवार रात को देश में आपातकाल लगा दिया।
सुरक्षाबलों ने सर्वोच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों को गिरफ्तार भी कर लिया। ट्रंप ने अपनी दक्षिण एशिया रणनीति के तहत चाहता है कि भारत, अफगानिस्तान को और अधिक सहायता उपलब्ध कराए। ट्रंप आतंकवादियों को पनाह देने को लेकर पिछले महीने पाकिस्तान को भी खरी-खोटी सुनाते हुए उसे दी जाने वाली एक अरब डॉलर से अधिक की राशि पर रोक लगा दी थी।