वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रीय स्मारकों को नुकसान पहुंचाने वालों पर मुकदमा चलाने के मकसद से एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं और इसे दंडनीय अपराध बनाया है जिसमें 10 साल कैद तक की सजा हो सकती है। पुलिस हिरासत में अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड की बर्बर हत्या के बाद भड़की हिंसा में देश में ऐतिहासिक स्थलों, स्मारकों एवं प्रतिमाओं को प्रदर्शनकारियों द्वारा क्षतिग्रस्त किए जाने के मद्देनजर यह आदेश लाया गया है। राष्ट्रपति ने हिंसा के लिए कट्टर वामपंथियों को जिम्मेदार ठहराया है।
ट्रंप ने सख्त लहजे वाले शासकीय आदेश में शुक्रवार को कहा, 'मेरा प्रशासन कट्टरपंथी तत्वों द्वारा उकसाई गई हिंसक भीड़ को इतिहास के उन पहलुओं का निर्धारक बनने की अनुमति नहीं दे सकता जिन्हें सार्वजनिक स्थानों में छूट मिल जाए।' ट्रंप ने कहा कि पिछले पांच हफ्तों से, असैन्य नागरिकों, कानून प्रवर्तन अधिकारियों के जीवन एवं संपत्ति, सरकारी संपत्तियों और लिंकन मेमोरियल जैसे श्रद्धेय अमेरिकी स्मारकों पर लगातार हमले हो रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'कई दंगाई, आगजनी करने वाले और चरम वामपंथी जिन्होंने इन कार्यों को किया है या समर्थन दिया है, खुद को मार्क्सवाद जैसी विचारधाराओं के साथ जुड़ा हुआ बताया है जो अमेरिकी व्यवस्था की बर्बादी का आह्वान करती हैं।' आदेश के तहत, संघीय सरकार को ऐसे किसी भी व्यक्ति या संस्था पर मुकदमा चलाने का निर्देश है जो किसी धार्मिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है। आदेश स्मारकों एवं प्रतिमाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाने में विफल रहने वाले राज्यों एवं स्थानीय सरकारों को मिलने वाली कुछ संघीय सहायता को रोक कर रखने को कहता है।
कानून के तहत संघीय संपत्ति को जानबूझ कर नुकसान पहुंचाने का दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है। साथ ही, शासकीय आदेश में यह भी निर्देश दिया गया है कि जो हिंसा भड़काने और अवैध गतिविधि में लिप्त पाए जाएं, उन्हें कानून के तहत अधिकतम अभियोग का सामना करना पड़ेगा। स्मारक एवं प्रतिमाओं के संरक्षण में विफल रहने पर राज्य एवं स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को संघीय समर्थन देना रोक दिया जाएगा। आदेश के मुताबिक अटार्नी जनरल, दंगे और संघीय संपत्ति को बर्बाद करने से जुड़े गैरकानूनी कृत्यों में लिप्त पाए गए व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेंगे।