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तीखे सवालों के सामने घिरा ट्रंप का आव्रजन आदेश

सैन फ्रांसिस्को: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादित आव्रजन आदेश को आज अदालत में तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। अपीली अदालत ने ट्रंप प्रशासन से पूछा कि यात्रा प्रतिबंध असंवैधानिक तरीके से मुस्लिमों

India TV News Desk
Published on: February 08, 2017 16:15 IST
trump immigration order surrounded the front of sharp...- India TV Hindi
trump immigration order surrounded the front of sharp questions

सैन फ्रांसिस्को: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादित आव्रजन आदेश को आज अदालत में तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। अपीली अदालत ने ट्रंप प्रशासन से पूछा कि यात्रा प्रतिबंध असंवैधानिक तरीके से मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव करता है या नहीं? इसके साथ ही अदालत ने इन प्रतिबंधों के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं से प्रेरित होने की दलीलों पर भी सवाल उठाया। न्याय मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के तहत ही काम किया है। मंत्रालय ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह पिछले सप्ताह विभिन्न अदालतों द्वारा इस प्रतिबंध पर लगाई गई रोक को हटाकर इसे बहाल करें।

ट्रंप के शासकीय आदेश ने सात मुस्लिम बहुल देशों से होने वाले आव्रजन पर अस्थायी तौर पर प्रतिबंध लगा दिया था। नाइन्थ यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स के तीन न्यायाधीशों के पैनल के समक्ष फोन पर चली इस सुनवाई में न्याय मंत्रालय के वकील अगस्त फ्लेंत्जे ने कहा कि शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा और लोगों को देश में प्रवेश देने के काम में संतुलन बनाकर रखा। फ्लेंत्जे ने कहा, राष्ट्रपति ने वह संतुलन बनाकर रखा और जिला अदालत के आदेश ने इस संतुलन को गड़बड़ा दिया। यह उस राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा फैसला है, जिसका अधिकार राजनीतिक शाखाओं और राष्ट्रपति के पास है और अदालत के आदेश ने इसे तत्काल बदल दिया।

इस सुनवाई का सीधा प्रसारण कई खबरिया चैनलों ने किया। वकील ने सेन फ्रांसिस्को की अदालत से अनुरोध किया कि वह सीएटल की एक अदालत द्वारा जारी किए गए शासकीय आदेश पर लगी रोक को हटाए। तीनों न्यायाधीशों ने फ्लेंत्जे से उनकी स्थिति की सीमाओं की व्याख्या करने के लिए कहा। न्यायाधीश मिशेल फ्राइडलैंड ने पूछा, क्या सरकार ने इन देशों को आतंकवाद से जोड़ने के संदर्भ में कोई साक्ष्य पेश किया? अपीली अदालत जल्दी ही फैसला सुना सकती है। यह मामला आने वाले दिनों में उच्चतम न्यायालय तक जा सकता है।

फ्राइडलैंड ने पूछा, क्या आप यह कह रहे हैं कि राष्ट्रपति के फैसले की समीक्षा (अदालत) नहीं कर सकती? एक अन्य न्यायाधीश विलियन कैनबी ने पूछा कि क्या राष्ट्रपति यूं ही कह सकते हैं कि अमेरिका मुस्लिमों को नहीं आने देगा। उन्होंने सवाल उठाया, क्या वह ऐसा कर सकते हैं? क्या कोई इसे चुनौती दे पाएगा? अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए वाशिंगटन राज्य के सॉलिसिटर जनरल नोआ परसेल ने इन दावों को चुनौती दी कि ट्रंप के आदेश के पीछे धार्मिक भेदभाव का कोई साक्ष्य नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया, ऐसे कई बयान जारी किए गए हैं, जो मुस्लिमों को नुकसान पहुंचाने के प्रमाण हैं। फ्लेंत्जे ने कहा कि न्याय मंत्रालय यह नहीं कह रहा कि मामला पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए। लेकि यह अजीब है कि एक अदालत राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए किए गए फैसले पर किसी अखबार में छपे लेखों के आधार पर रोक लगा दी। जब न्यायाधीशों ने साक्ष्यों की मा़ंग की तो फ्लेंत्जे ने अमेरिका में रहने वाले सोमालिया के उन कई लोगों का हवाला दिया, जो उनके अनुसार, आतंकी संगठन अल-शबाब से जुड़े रहे हैं।

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