वॉशिंगटन: अमेरिका के एक शीर्ष समाचार पत्र का मानना है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कश्मीर मामले पर मध्यस्थता की पेशकश संबंधी बड़ी भूल करके भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिये पूर्व राष्ट्रपतियों की उपलब्धियों पर पानी फेर रहे हैं। समाचार पत्र के अनुसार ट्रम्प ने ऐसा करके ‘हद दर्जे की कूटनीतिक गलती’ की है जो एक महत्वपूर्ण देश को और विमुख कर सकती है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ने सोमवार को यह बयान देकर दुनिया को स्तब्ध कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के ओसाका में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान कश्मीर मामले को सुलझाने में उनकी मदद मांगी थी। ट्रम्प के इस बयान के तुरंत बाद भारत ने इसे खारिज करते हुये कहा कि मोदी ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया और कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला है।
‘द वॉशिंगटन पोस्ट’ की एक रिपोर्ट में कहा गया, ‘ट्रम्प ने हद दर्जे की राजनयिक भूल की है।’ उसने कहा, ‘‘भारत के साथ व्यापार युद्ध के बाद, कश्मीर मामले पर उनकी भूल एक अहम देश को और विमुख कर देगी, जिसकी मित्रता की अमेरिका को चीन के उदय से मुकाबला करने के लिए आवश्यकता है।’’
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात को सिरे से खारिज किया है कि मोदी ने ट्रम्प से इस प्रकार का कभी कोई अनुरोध किया है। ट्रम्प के बयान के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी भूल सुधारने की कोशिश करते हुए कहा कि वह कश्मीर को भारत एवं पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला मानता है और वह तभी मदद के लिए तैयार होगा, जब दोनों देश चाहेंगे।
शीर्ष अमेरिकी समाचार पत्र ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा ने भारत के साथ संबंधों में सुधार किया, ट्रम्प कुछ गलत शब्दों से उनके किए पर पानी फेर रहे हैं।’’ उसने कहा, ‘‘वह अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों को वापस लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि यदि वह पाकिस्तान को खुश करते हैं, तो अमेरिका वहां से सम्मान से साथ निकल पाएगा।’’
समाचार पत्र की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अफगानिस्तान से अमेरिका के निकलने में मदद करने में पाकिस्तान का हित है। इससे तालिबान, हक्कानी नेटवर्क को वर्चस्व बनाने में मदद मिलेगी, लेकिन हमेशा की तरह, ट्रम्प को इस बार भी पता नहीं है कि उन्हें मूर्ख बनाया जा रहा है।’’
इसमें कहा गया है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधी तनाव बढ़ रहा हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प ने ट्विटर पर शिकायत की है कि अमेरिकी उत्पादों पर भारत की ओर से लगाए जाने वाले शुल्क ‘अब स्वीकार्य नहीं’ हैं।