वाशिंगटन। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय से अफोर्डेबल केयर एक्ट (किफायती देखभाल कानून) को पलटने का अनुरोध किया। प्रशासन ने अदालत में यह याचिका उसी दिन दायर की है, जब सरकार ने कहा कि लॉकडाउन के बीच जिन लोगों का स्वास्थ्य बीमा खत्म हो गया था उनमें से करीब पांच लाख लोगों को हेल्थकेयर डॉट जीओवी के जरिए कवरेज दिया गया है। उच्चतम न्यायालय में दायर मामले में टेक्सास और अन्य राज्यों ने दलील दी कि कांग्रेस के 2017 में कर विधेयक पारित करने के बाद एसीए असंवैधानिक हो जाता है।
2017 के इस नए कानून में स्वास्थ्य बीमा न करवाने वाले लोगों पर जुर्माना लगाने के प्रावधान को हटाया गया है। साल 2017 में कांग्रेस में पूरी तरह से रिपब्लिकनों का बहुमत होने के बावजूद ओबामाकेयर को रद्द करने में नाकाम रहने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे कानूनी चुनौती देने की ओर ध्यान लगा दिया। प्रशासन ने कानूनी दलीलों में ओबामाकेयर के उन प्रावधानों को हटाने का हमेशा समर्थन किया है, जिनके तहत बीमा कंपनियां लोगों के मेडिकल इतिहास के आधार पर उनके खिलाफ भेदभाव नहीं कर सकती।
हालांकि ट्रंप ने आश्वासन दिया है कि पहले से ही किसी ने किसी बीमारी से पीड़ित लोगों को इसमें सुरक्षा प्रदान की जाएगी। सरकार की गुरुवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल कार्यस्थल पर स्वास्थ्य बीमा गंवाने के बाद करीब 4,87,000 लोगों ने हेल्थकेयर डॉट जीओवी पर पंजीकरण कराया है, जो पिछले साल के मुकाबले 46 प्रतिशत अधिक है।
ट्रंप चाहते हैं, नियुक्ति में डिग्री के बजाये कौशल को प्राथमिकता दी जाए
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि संघीय सरकार की नौकिरियों में उम्मीदवारों की डिग्री के बजाये उनके कौशल को प्राथमिकता दी जाए। ट्रंप इसके लिए संघीय सरकार को निर्देश देने की तैयारी कर रहे है। प्रशासन और उद्योग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। समझा जाता है कि ट्रंप देश की सबसे बड़ी नियोक्ता के लिए इस बारे में सरकारी आदेश पर शुक्रवार को दस्तखत करेंगे।
प्रशासन को कर्मचारियों के लिए नीति पर सलाह देने वाले बोर्ड की बैठक में इस आदेश पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। ट्रंप की पुत्री इवांका अमेरिकियों के लिए कार्यबल नीति सलाहकार बोर्ड की सह-चेयरमैन हैं। इवांका ने नियोक्ताओं की बदलती जरूरतों के अनुरूप रोजगार प्रशिक्षण में सुधार के लिए काफी काम किया है। संघीय सरकार देश की सबसे बड़ी नियोक्ता है। इसके कर्मचारियों की संख्या 21 लाख है। इसमें डाक सेवा के कर्मचारी शामिल नहीं हैं।