वाशिंगटन: दक्षिण एशिया मामले के एक विशेषज्ञ ने कहा है कि इस्लामाबाद की मुख्य राजकीय नीतियों पर पाकिस्तानी सेना एवं खुफिया सेवाओं को देखते हुए इसकी संभावना नहीं दिखती कि भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों में रणनीतिक बदलाव आएगा। काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस से जुड़े डेनियल मार्की ने एक पत्रिका द किफर ब्रीफ में लिखे एक लेख में कहा, अमेरिकी नीति निर्माता पाकिस्तान की अंदरूनीय शासकीय स्थिति की वास्तविकता से अवगत हो गए हैं। एक व्यावहारिक मामले के तौर पर वे पाते हैं कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया सेवाओं के साथ समन्वय के बिना सुरक्षा मुद्दों पर कुछ भी महत्वपूर्ण कर पाना असंभव है।
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उन्होंने कहा कि यह उन अमेरिकियों के लिए परेशान करने वाली स्थिति रही है जो पाकिस्तान में अधिक पारदर्शी, जवाबदेह व्यवस्था के पक्ष में माहौल बनाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का कदम उठाना चाहते थे।
मार्की ने कहा कि शैक्षणिक और नीति विशेषज्ञ आमतौर पर सहमत हैं कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई निदेशालय का पाकिस्तान की मुख्य राजकीय नीतियों पर अधिक प्रभाव रहा है।
उन्होंने सवाल किया, जब पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य और असैन्य नेता सभी तरह के आतंकवाद का मुकाबला करने को तवज्जो देते हैं तो फिर उनकी खुफिया संस्थाएं लश्कर-ए-तैयबा एवं हक्कानी नेटवर्क जैसे भारत एवं अफगान विरोधी आतंकवादियों को निरंतर पनाह क्यों दे रही हैं?