नई दिल्ली: भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके अमेरिकी समकक्ष रेक्स टिलरसन ने भारत अमेरिका के बीच के संबंधों को गहराई प्रदान करने और रक्षा सहयोग आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प जताया। बुधवार को दोनों विदेश मंत्रियों के बीच पहली बार टेलीफोन पर बातचीत हुई, विदेश मंत्रालय ने बुधवार रात कहा कि दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को लेकर जताए गए दृढ़ संकल्प पर भी सहमति जताई।
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इसमें कहा गया, ‘‘विदेश मंत्री और उनके अमेरिकी समकक्ष टिलरसन ने भारत और अमेरिका के बीच बहुपक्षीय रणनीतिक साझेदारी को और विस्तार देने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प जाहिर किया।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ और मजबूत संबंध न सिर्फ दोनों देशों के परस्पर हित में है बल्कि इनका क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व भी है। इस संदर्भ में उन्होंने रक्षा, सुरक्षा, उर्जा और अर्थव्यवस्था समेत तमाम क्षेत्रों में सहयोग तेज करने पर सहमति जताई।’’ इसी महीने अमेरिकी विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने वाले 64 साल के टिलरसन से सुषमा स्वराज की यह टेलीफोन पर हुई पहली बातचीत थी।
सुषमा स्वराज और टिलरसन के बीच ये बातचीत तब हुई जब व्यापार समेत अहम क्षेत्रों पर ट्रंप प्रशासन की विभिन्न नीतियों को लेकर भारत ने 'देखो और इंतजार करो' की रणनीति अपना रखी है। भारत एच1बी वीजा पर नए विधेयक को लेकर पहले ही अपनी चिंताएं जाहिर कर चुका है।
सिलिकॉन वैली में स्थित भारतीय-अमेरिकी इनफॉर्मेशन टेकनॉलॉजी पेशेवरों को लगता है कि ट्रंप प्रशासन की तरफ से अमेरिकी संसद में लाया जा रहा नया विधेयक इस समुदाय पर विपरीत असर डालेगा। अमेरिकी तकनीक उद्योग के लिए अंतरराष्ट्रीय कामगारों का प्रमुख स्त्रोत है भारत और एच-1बी वीजा हासिल करने वालों में भी उसकी बड़ी हिस्सेदारी है। ऐसे में ‘‘अमेरिका पहले’’ नीति की आवाज बुलंद करने वाले ट्रंप का ऐसा कोई भी कदम भारत पर विपरीत प्रभाव डालेगा।