वाशिंगटन: मुस्लिम बहुल देश और पड़ोसी अफगानिस्तान में अमेरिकी लक्ष्यों के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता को लेकर चिंता जताते हुए कांग्रेस की एक समिति ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मानदंडों पर खरा उतरने को कहा है। एप्रोपिएशन्स कमेटी ने सीनेट और सदन में प्रस्ताव रखा है कि अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य और आर्थिक दोनों प्रकार की सहायता के लिए कड़ी शर्तें तय की जानी चाहिए। समिति ने कहा है कि उसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मानदंड पर खरा उतरना होगा। (2012 में कांग्रेस में अहंकार आ गया था, अमेरिका में राहुल गांधी का बयान)
वर्ष 2018 के लिए विदेश मंत्रालय का वार्षिक विनियोग विधेयक पारित करते हुए सीनेट की एप्रोप्रिएशन्स कमेटी ने कहा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सहित, क्षेत्र में अमेरिकी लक्ष्यों के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता चिंता का विषय है। पिछले सप्ताह दो समितियों द्वारा पारित किया गया विनियोग विधेयक इस सप्ताह सीनेट और प्रतिनिधि सभा में रखा गया था। सीनेट की एप्रोप्रिएशन्स कमेटी ने पाकिस्तान को 37.2 करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता की सिफारिश की है।
सीनेट की एप्रोप्रिएशन कमेटी के अनुसार, वर्ष 2018 के लिए देखें तो पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता राशि की कुल रकम 1.4 अरब डॉलर से भी ज्यादा हो सकती है। हालांकि पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता के लिए कड़ी शर्तें तय हैं। शर्तों के अनुसार हक्कानी नेटवर्क और अन्य चरमपंथियों के खिलाफ तथा आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में पाकिस्तान से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने पर विदेश विभाग तय सहायता राशि में 75 प्रतिशत की कमी कर सकता है।