वाशिंगटन: दक्षिण एशियाई समूहों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संशोधित शासकीय आदेश की कड़ी निंदा की है और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर मुस्लिमों और प्रवासियों पर हमला बताया है।
दूसरा शासकीय आदेश 16 मार्च से लागू होगा और यह छह मुस्लिम बहुल देशों के लोगों का अमेरिका में प्रवेश अस्थायी तौर पर बाधित कर देगा। यह प्रतिबंध सूडान, सीरिया, ईरान, लीबिया, सोमालिया और यमन पर लगाया गया है।
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दक्षिण एशियाई लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले राष्ट्रीय संगठन साउथ एशियन अमेरिकन्स लीडिंग टुगेदर :एसएएएलटी: ने आरोप लगाया कि यह एक संशोधित और बेहद नस्ली शासकीय आदेश है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर मुस्लिमों को प्रतिबंधित करता है, शरणार्थियों को नकारता है और मुस्लिम-अमेरिकी समुदायों के खिलाफ निगरानी बढ़ाता है। एसएएएलटी के कार्यकारी निदेशक सुमन रघुनाथन ने कहा, अंधेरे में तीर चलाने के अपने प्रयास के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय रोष और मूल आदेश का क्रियांवयन रोकने के नाइंथ सर्किट के सर्वसम्मत फैसले के बावजूद जिद्दी ढंग से मुस्लिम प्रतिबंध को जारी रख रहे हैं।
सुमन ने कहा, कानूनी समीकरण कुछ भी हों, यह हालिया आदेश पर्दे के पीछे से मुस्लिमों, प्रवासियों, अश्वेतों और अमेरिका में समानता एवं आजादी के मूल आदर्शों के खिलाफ किया गया हमला है।
एक संयुक्त बयान में साउथ एशियन बार असोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (एसएबीए) और नेशनल एशियन पैसिफिक अमेरिकन बार असोसिएशन ने ट्रंप के नए शासकीय आदेश की निंदा की और कहा कि इस आदेश में पहले वाले आदेश के कई पक्षपाती प्रावधान हैं। यह आदेश भी कई मुस्लिम-बहुल देशों से आव्रजन रोकने और शरणार्थियों को अमेरिका में दाखिल होने से रोकने की बात करता है।