वाशिंगटन: पाकिस्तान दो अंतिम खलीलजाद ने आरोप लगाया, उसने (पाकिस्तान ने) खुद को एक अमेरिकी साझेदार की तरह पेश किया, लेकिन तालिबान और अल-कायदा से जुड़े हक्कानी नेटवर्क का समर्थन करता है। 2005 के बाद से तालिबान और हक्कानी नेटवर्क ने पाकिस्तान में अपना पुनर्गठन किया और अमेरिकी तथा अफगान बलों के खिलाफ विनाशकारी छापामार जंग की। अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि पाकिस्तान अफगानिस्तान पर पाकिस्तानी प्रभुत्व सुनिश्चित करने के लिए तालिबान को प्रभावी प्रॉक्सी के रूप में देखता है।
अमेरिका ने पाकिस्तान को एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा दिया
खलीलजाद ने कहा, पाकिस्तान यह भी मानता है कि अफगानिस्तान में जंग जारी रखने से अमेरिकी वापसी होगी जो मौजूदा सरकार के खिलाफ और उसके प्रॉक्सी के पक्ष में सत्ता संतुलन बदलेंगे। अंतत:, पाकिस्तान अफगानिस्तान में मौजूदा सरकार उलट देना चाहता है क्योंकि यह आग्याकारी नहीं है। उन्होंने कहा, पाकिस्तानी लीडरान सोचते हैं कि अगर वे तालिबान और हक्कानी नेटवर्क की हिमायत करते रहे तब भी अमेरिकी मदद मिलना जारी रहेगा और अंतरराष्ट्रीय अलगाव से बचे रहेंगे। उन्हें यह कम ही लगा कि अमेरिका उन्हें अमेरिकी समर्थन और तालिबान के साथ अपने गठजोड़ में से किसी एक को चुनने के लिए बाध्य करेगा। खलीलजाद ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रतिबंध का आह्वान करते हुए कहा कि अमेरिका को उग्रवाद और मादक द्रव्यों की तस्करी के प्रति पाकिस्तानी समर्थन जताने वाली गोपनीय सूचना सार्वजनिक और प्रसारित कर देनी चाहिए। अमेरिकी राजनयिक ने कहा, राजनीतिक रूप से जब तक पाकिस्तानी एजेंसियां या सैन्य सेवाएं अफगानिस्तान के खिलाफ कार्रवाइयां करती रहेंगी, तब तक पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अच्छे रूतबे वाला सदस्य नहीं रह सकता। अमेरिका ने हाल में पाकिस्तान को एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा दिया। यह दर्जा पूरी तरह अनुचित है। पाकिस्तान की मौजूदा नीति और व्यवहार उसे आतंकवाद का प्रायोजन करने वाले देश की अमेरिकी विदेश मंत्रालय की सूची में डालने योग्य बनाते हैं।