वाशिंगटन: व्हाइट हाउस ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिकी कांग्रेस ईरान के साथ हुई परमाणु संधि को रद्द कर देती है तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे क्योंकि तब उसके लिए तेहरान के खिलाफ प्रतिबंध लागू करने के लिए भारत, चीन और जापान जैसे देशों को मनाना मुश्किल हो जाएगा।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने कल कहा, यदि कांग्रेस ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने वाली संधि रद्द करती है, तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे और ये परिणाम गंभीर होंगे।
उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस ने कुछ कांग्रेस सदस्यों की ओर से ऐसे गैरजिम्मेदाराना प्रयास देखे हैं, जिनके तहत उन्होंने ईरानी परमाणु संधि को तोड़ने के लिए इस संधि के उद्देश्य का उल्लंघन करने वाले लेख लिखे हैं, जमा कराए हैं और उनकी वकालत की है। इस बात की संभावना है कि इससे ईरान निरीक्षकों को अपने देश से बाहर निकालने के लिए प्रेरित हो सकता है। ये वे निरीक्षक हैं, जो इस समय विश्व के किसी भी अन्य परमाणु कार्यक्रम की तुलना में ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर करीबी नजर रख रहे हैं।
अर्नेस्ट ने कहा, संधि को कमजोर करने वाला विधेयक पारित करके वे उस अंतरराष्ट्रीय गठबंधन को भी धाराशायी कर देंगे, जिसे हमने बनाया है। अमेरिका के लिए भारत, चीन और जापान जैसे देशों को इस बात पर राजी करना मुश्किल हो जाएगा कि उन्हें इन प्रतिबंधों को लागू करने में हमारी मदद करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, हमें इन प्रतिबंधों को लागू करने के लिए उन्हें राजी करने में मुश्किल आएगी क्योंकि संधि रद्द होना अमेरिकी कांग्रेस की गलती होगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ओबामा अब सिर्फ एक माह के लिए ही पद पर हैं। यदि कांग्रेस इस संधि को रद्द करने वाले गैर जिम्मेदाराना विधेयक को स्वीकार करती है तो ओबामा के जाने के बाद कांग्रेस को ही परिणामों से निपटना होगा।
अर्नेस्ट ने कहा, ईरान प्रतिबंध कानून अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप है और राष्ट्रपति ने इस विधेयक को वीटो नहीं किया क्योंकि यह संधि को कमजोर नहीं करता। लेकिन इस विधेयक पर बहुत सी ऐसी भाषणबाजी और विधायी काम किए जा चुके हैं, जो संधि को निरस्त कर देंगे।
उन्होंने कहा, यह एक संदेश है कि यदि अमेरिकी कांग्रेस ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने वाली संधि को रद्द करती है तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।