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तालिबान पर अमेरिका, चीन और पाकिस्तान के साथ हैं: रूस

लावरोव ने कहा कि तालिबान द्वारा घोषित अंतरिम सरकार "अफगान समाज की जातीय-धार्मिक और राजनीतिक ताकतों को प्रतिबिंबित नहीं करती है, इसलिए हम संपर्क में हैं जो लगातार जारी है।"

Written by: Bhasha
Updated : September 27, 2021 16:14 IST

संयुक्त राष्ट्र. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने शनिवार को कहा कि रूस, चीन, पाकिस्तान और अमेरिका यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं कि अफगानिस्तान का नया तालिबान शासन अपने वादों को पूरा करे और विशेष रूप से एक वास्तविक प्रतिनिधि सरकार बनाने और चरमपंथ को फैलने से रोकने के लिए काम करे। सर्गेई लावरोव ने कहा कि चारों देश लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि रूस, चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने तालिबान और ‘‘धर्मनिरपेक्ष प्राधिकार वर्ग’’ के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने के लिए हाल में कतर और फिर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की यात्रा की।

धर्मनिरपेक्ष प्राधिकार में पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब अपदस्थ हो चुकी सरकार की तालिबान के साथ बातचीत के लिए वार्ता परिषद का नेतृत्व कर रहे अब्दुल्ला अब्दुल्ला शामिल हैं। लावरोव ने कहा कि तालिबान द्वारा घोषित अंतरिम सरकार "अफगान समाज की जातीय-धार्मिक और राजनीतिक ताकतों को प्रतिबिंबित नहीं करती है, इसलिए हम संपर्क में हैं जो लगातार जारी है।"

तालिबान ने एक समावेशी सरकार का वादा किया है, जो पिछली बार 1996 से 2001 तक देश पर शासन करने की तुलना में इस्लामी शासन का एक अधिक उदार रूप होगा, जिसमें महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करना, 20 साल के युद्ध के बाद स्थिरता प्रदान करना, आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ना और हमले शुरू करने के लिए आतंकवादियों को अपने क्षेत्र का इस्तेमाल करने से रोकना शामिल है। लेकिन तालिबान के हाल के कदमों से पता चलता है कि वे खासकर महिलाओं और लड़कियों के प्रति अधिक दमनकारी नीतियों की ओर लौट रहे हैं।

लावरोव ने कहा, "सबसे महत्वपूर्ण यह सुनिश्चित करना है कि जिन वादों की उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है, उन्हें पूरा किया जाए और हमारे लिए यह सर्वोच्च प्राथमिकता है।"

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में और इसके बाद एक विस्तृत संवाददाता सम्मेलन में लावरोव ने अफगानिस्तान से अमेरिका की जल्दबाजी में वापसी के लिए बाइडन प्रशासन की आलोचना की। उन्होंने कहा कि अमेरिका और नाटो ने "परिणामों पर विचार किए बिना अफगानिस्तान में कई हथियार छोड़े हैं।"

उन्होंने कहा कि ऐसे हथियारों का इस्तेमाल "विनाशकारी उद्देश्य" के लिए नहीं होना चाहिए। बाद में महासभा में अपने संबोधन में लावरोव ने अमेरिका और उसके सहयोगियों पर "आज की प्रमुख समस्याओं को हल करने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को कम करने या इसे दरकिनार करने या किसी के स्वार्थपूर्ण हितों को बढ़ावा देने के लिए इसे एक उपकरण के रूप में लगातार इस्तेमाल करने का प्रयास करने का आरोप लगाया।" उन्होंने कहा कि अमेरिका भी संयुक्त राष्ट्र को दरकिनार कर रहा है। 

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