वाशिंगटन: भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना को ‘कांग्रेशनल इंडिया कॉकस’ का डेमोक्रेटिक उपाध्यक्ष नामित किया गया है। डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद रो खन्ना (44) अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में सिलिकॉन वैली का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्हें कैलिफोर्निया से सीनेट की सीट का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। कमला हैरिस के जनवरी में देश के उपराष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के बाद यह सीट खाली हो जाएगी। कांग्रेशनल इंडिया कॉकस, अमेरिकी संसद के सदस्यों का एक समूह है। इस समूह का 1994 में गठन होने के बाद पहली बार इस (उपाध्यक्ष) पद का सृजन किया गया है।
कॉकस के डेमोक्रेटिक सह अध्यक्ष एवं सांसद ब्रैड शर्मन ने बुधवार को अपने सहयोगी सांसदों को भेजे ईमेल में कहा, ‘‘मेरा मानना है कि रो खन्ना डेमोक्रेटिक उपाध्यक्ष के तौर पर शानदार काम करेंगे।’’ फिलाडेलफिया में 1976 में जन्मे खन्ना, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में भारतीय मूल के चार सांसदों में सबसे युवा हैं। प्रतिनिधि सभा में भारतीय मूल के अन्य तीन सांसदों में एमी बेरा (55), राजा कृष्णमूर्ति (47) और प्रमिला जयपाल (55) शामिल हैं।
खन्ना के पिता एक केमिकल इंजीनियर थे, जिन्होंने आईआईटी और मिशिगन विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। खन्ना की मां एक स्कूल शिक्षक थीं। खन्ना भारत-अमेरिका संबंधों के प्रबल समर्थक हैं। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में वह वाणिज्य मंत्रालय में उप मंत्री का कार्यभार संभाल चुके हैं। इस पद पर वह अगस्त 2009 से अगस्त 2011 तक रहे थे। वर्ष 2016 में वह पहली बार अमेरिकी कांग्रेस के लिए चुने गए। उन्होंने माइक होंडा को शिकस्त दी थी।
डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर ही नहीं बल्कि विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा, पर्यावरण, वाणिज्य एवं निर्माण क्षेत्र से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर उन्होंने एक नेता के तौर पर विशिष्ट जगह बनाई है। उनके द्वारा 117वीं कांग्रेस (2021-2022) में उपाध्यक्ष पद पर सेवा देने के बाद 118वीं कांग्रेस (2023-24) में कांग्रेशनल कॉकस के डेमोक्रेटिक सह अध्यक्ष बनने की संभावना रहेगी।
खन्ना का भारत से जुड़ाव रहा है। वह लगभग हर साल गर्मी की छुट्टियां भारत में अपने परिवार के साथ बिताते हैं। उनकी चाची अरुणा शैव ने बताया, ‘‘वह स्कूल के दिनों से ही गर्मी की छुट्टियों में भारत आते रहे हैं। वह बेहद ईमानदार, मेहनती हैं।’’ खन्ना की बुआ नलिनी नारायण और मीरा पारखे के अनुसार खन्ना का दिल्ली और पंजाब में अपने दादा-दादी से गहरा जुड़ाव रहा है।
उन्होंने बताया कि खन्ना के नाना अमरनाथ विद्यालंकार भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा रहे थे और उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय के साथ स्वाधीनता संघर्ष में योगदान दिया था। उन्होंने मानवाधिकारों की मांग करने को लेकर कई वर्ष जेल में बिताये थे। खन्ना खुद को एक प्रगतिवादी पूंजीवादी मानते हैं।