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पाक में धार्मिक अल्पसंख्यकों को खतरनाक तरीके से खत्म कर रहा है नरसंहार

वाशिंगटन: पाकिस्तान की एक प्रसिद्ध विद्वान ने कहा कि देश एक धीमे नरसंहार का सामना कर रहा है और यह इस्लामी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सबसे खतरनाक तरीके से खत्म कर रहा है। पाकिस्तानी

India TV News Desk
Published on: February 28, 2017 19:01 IST
Farahnaz Ispahani- India TV Hindi
Farahnaz Ispahani

वाशिंगटन: पाकिस्तान की एक प्रसिद्ध विद्वान ने कहा कि देश एक धीमे नरसंहार का सामना कर रहा है और यह इस्लामी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को सबसे खतरनाक तरीके से खत्म कर रहा है।

पाकिस्तानी लेखिका, पत्रकार एवं नेता फरहनाज इस्पहानी ने कहा, भारत एवं पाकिस्तान के बंटवारे से ठीक पहले इस्लाम के अलावा हमारे यहां धर्मों - हिंदु, सिख, ईसाई, पारसी का बहुत अच्छा संतुलन था। अब पाकिस्तान में उनकी तादाद पूरी आबादी के 23 प्रतिशत यानि एक तिहाई से गिरकर महज तीन प्रतिशत रह गयी है।

उन्होंने कहा, मैं इसे धीमा नरसंहार कहती हूं क्योंकि यह धार्मिक समुदायों का सबसे खतरनाक तरह से खात्मा है। लेखिका की किताब प्यूरीफाइंग द लैंड ऑफ द प्योर का इस महीने अमेरिका में विमोचन किया गया। उन्होंने कहा, यह (नरसंहार) एक दिन में नहीं होता। यह कुछ महीनों में नहीं होता। धीरे धीरे होता है जब कानून एवं संस्थान और नौकरशाह एवं दंड संहिताएं, पाठ्यपुस्तक दूसरे समुदायों की निंदा करते हैं, ऐसा तब तक होता है जब तक कि आपके यहां इस तरह की जेहादी संस्कृति जन्म नहीं ले लेती है जोकि बड़े पैमाने पर दिख रही है।

फरहनाज ने पाकिस्तान के सफर को निराशाजनक बताते हुए कहा कि वह जिस देश में बड़ी हुईं, वह देश अब नहीं रहा। फरहनाज ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हाल में जारी वैश्विक चलन को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि यह हैरान करने वाला है कि अमेरिका जैसे देश जिन्हें उदारवादी लोकतांत्रिक अंतर्दृष्टि और धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी के प्रति मूल्यों के लिए जाना जाता था, वे अब नफरत की जगहें बन रहे हैं। शीर्ष पाकिस्तानी विद्वान ने कहा, चाहे यह शरणार्थियों को लेकर हो, चाहे सदियों से फ्रांस में बसे यहूदियों को लेकर हो, पीढि़यों से अमेरिका में बसे यहूदियों के लिए हो। मुस्लिम, यहूदी, ईसाई सब हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया एक बेहद खतरनाक तरीके से बदल रही है।

फरहनाज ने कहा, मेरे किताब लिखने के कारणों में से एक इस बात पर ध्यान दिलाना है कि पाकिस्तान एक ऐसा उदाहरण है जिसे पूरी दुनिया को देखना चाहिए। भारत का उदाहरण, साफ तौर पर अलग है क्योंकि भारतीय संविधान असल में धर्मनिरपेक्ष शब्द का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा, हालांकि इस समय भारत में समाज के दो धाराओं में टकराव चल रहा है। मैं कहूंगी कि आज तक वहां के कानून कहते हैं कि सभी भारतीय बराबरी के नागरिक हैं औैर ऐसा ही अमेरिका में भी है। फरहनाज ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदू विवाह विधेयक लाने या दीपावली को सरकारी छुट्टी घोषित करना महज आंखों में धूल झोंकना है क्योंकि देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की चिंताओं पर ध्यान देने के लिए मौजूदा सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।

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