वाशिंगटन: एच1-बी वीजा कार्यक्रम के नियमों में कड़ाई किए जाने से अमेरिका के सूचना प्रौद्योगिकी आईटी क्षेत्र को खुले तौर पर भारत जैसे देशों से अच्छी प्रतिभाओं को आकर्षित करने में मुश्किल का सामना करना पड़ेगा और इससे अमेरिका को अपनी प्रतिस्पर्धी वरीयता में नुकसान हो सकता है। अमेरिका के एक शीर्ष शोध संस्थान सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट सीजीडी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार गैर-आव्रजन एच1-बी वीजा की समीक्षा कर रही है। इसका अधिकतर उपयोग भारतीय आईटी पेशेवर करते हैं और यह अमेरिका और भारत दोनों के लिए ही फायदेमंद है। (आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करेंगे पाकिस्तान और अफगानिस्तान: अब्बासी)
इस शोध पत्र के सह-लेखक और सीजीडी में फेलो गौरव खन्ना ने कहा, यह सुनिश्चित करना वास्तव में महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के आईटी क्षेत्र योग्य लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर सकें क्योंकि यही लोग दोनों देशों की वृद्धि और नवोन्मेष को वास्तव में आगे बढ़ाएंगे।
यह बात द आईटी बूम एंड अदर यूनिंटेंडेड कॉन्सीक्यूएंसेस ऑफ चेजिंग द अमेरिकन ड्रीम शीर्षक की रिपोर्ट में कही गई है। खन्ना ने कहा कि एच1-बी कार्यक्रम का वास्तव में दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ हुआ।