वॉशिंगटन: अमरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन 24 सिंतबर को वाशिंगटन डीसी में क्वाड समूह के नेताओं की पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे। यह ऐलान व्हाइट हाउस की ओर से किया गया है। बायडेन व्हाइट हाउस में पीएम नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा का स्वागत करेंगे।
इस शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी का राष्ट्रपति जो बायडेन के साथ द्विपक्षीय बैठक करने का कार्यक्रम है। मोदी की अमेरिका यात्रा की तैयारियों के तहत भारत और अमेरिका ने कई बैठकें की और ऐसी जानकारी है कि यह मुद्दा विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की हाल की वाशिंगटन यात्रा के दौरान भी उठा था।
इससे पहले राष्ट्रपति बायडेन ने मार्च में क्वाड नेताओं के पहले शिखर सम्मेलन की डिजिटल तरीके से मेजबानी की थी जिसमें स्वतंत्र, उन्मुक्त, समावेशी, लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़े हिंद-प्रशांत क्षेत्र का संकल्प व्यक्त किया गया था जो जबरन कब्जे जैसी बाधाओं से मुक्त हो। इसे एक तरह से चीन के लिए संदेश के तौर पर देखा गया था। मोदी ने इससे पहले सितंबर 2019 में अमेरिका का दौरा किया था जब उन्होंने और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम को संबोधित किया था।
आपको बता दें कि इससे पहले भारत और ऑस्ट्रेलिया ने शनिवार को उन आलोचनाओं को खारिज कर दिया था कि ‘क्वाड’ एक प्रकार का ‘एशियाई नाटो’ है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि यह जरूरी है कि वास्तविकता को ‘गलत तरीके से प्रस्तुत’ नहीं किया जाए। विदेश मंत्री जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष मारिसे पायने और पीटर डटन के साथ यहां 'टू प्लस टू' वार्ता की थी। ‘क्वाड’ समूह को एशिया के नाटो के रूप में वर्णित करने के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘‘हम खुद को क्वाड कहते हैं और क्वाड एक ऐसा मंच है जहां चार देश अपने लाभ और दुनिया के लाभ के लिए सहयोग करने आए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पीछे मुड़कर देखें तो नाटो जैसा शब्द शीत युद्ध वाला शब्द है। मुझे लगता है कि क्वाड भविष्य में दिखता है, यह वैश्वीकरण को दर्शाता है, यह एक साथ काम करने के लिए देशों की जरूरतों को दर्शाता है।’’
जयशंकर ने कहा कि क्वाड वर्तमान में टीके, आपूर्ति श्रृंखला, शिक्षा और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस तरह के मुद्दों और नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) या इस तरह के किसी अन्य संगठनों के बीच कोई संबंध नहीं देखता। इसलिए मुझे लगता है कि यह जरूरी है कि गलत तरीके से प्रस्तुत न किया जाए कि वहां की वास्तविकता क्या है।’’ स
मान विचार व्यक्त करते हुए पायने ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और भारत के संबंधों में फिर से नई ऊर्जा आई हैं, इसलिए क्वाड जैसे छोटे समूहों और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन या आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) जैसे क्षेत्रीय मंच के जरिए काम करने का अवसर भी है। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘क्वाड सदस्य आसियान की केंद्रीयता के हिमायती हैं, हम आसियान के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हैं। हम भारत-प्रशांत पर आसियान दृष्टिकोण के व्यावहारिक कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
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