![United States, United Kingdom, France ask United Nations to blacklist Jaish-e-Mohammed chief Masood](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
न्यूयॉर्क: पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तान द्वारा समर्थित और पोषित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ भारत को कूटनीतिक मोर्चे पर बड़ी सफलता मिलती नजर आ रही है। बुधवार को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को ब्लैक लिस्ट करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया है। तीनों देशों की तरफ से पेश किए गए इस प्रस्ताव में कहा गया है कि मसूद अजहर के संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ही भारतीय अर्द्धसैनिक बल CRPF के काफिले पर हमला किया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समिति से कहा है कि वह मसूद अजहर के खिलाफ हथियार बैन, वैश्विक यात्रा प्रतिबंध लगाए। इसके साथ ही इन देशों ने समिति से मसूद अजहर की संपत्तियों को जब्त करने की भी मांग की। वहीं, सुषमा की यात्रा के बाद चीन का नजरिया भी पाकिस्तान को लेकर कुछ बदला हुआ लग रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर पड़ोसी देश चीन का साथ हासिल कर पाना बेहद मुश्किल है क्योंकि वह पाकिस्तान का साथ इतनी आसानी से शायद ही छोड़े।
इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि फ्रांस संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित किए गए जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है। आपको बता दें कि मसूद के खिलाफ बैन का प्रस्ताव करने वाले तीनों ही देश वीटो पावर से लैस हैं। यह प्रस्ताव पेश होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में पिछले 10 साल में चौथी बार किया गया ऐसा प्रयास होगा जिसमें अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की मांग की जाएगी। हालांकि संयुक्त राष्ट्र में इस प्रस्ताव का पारित होना या न होना पाकिस्तान ‘सदाबहार दोस्त’ चीन के रुख पर निर्भर करेगा।
गौरतलब है कि पंद्रह राष्ट्रों वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर माह एक देश से दूसरे देश के हाथ में जाती है और एक मार्च को इसकी अध्यक्षता इक्वेटोरियल गुयाना से फ्रांस के पास चली जाएगी। गौरतलब है कि पाकिस्तान से संचालित जैश-ए-मोहम्मद ने 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 40 कर्मी शहीद हो गए थे जिसके बाद देश में आक्रोश था।