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पीएम मोदी ने भारत का अक्षय ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य बढ़ाकर 400 गीगावाट तक पहुंचाने का संकल्प लिया

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने लाखों परिवारों को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन प्रदान किए हैं। हमने जल संसाधन विकास, जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन के लिए जल जीवन मिशन की शुरुआत की

Written by: Bhasha
Updated on: September 23, 2019 22:30 IST
Prime Minister Narendra Modi addresses the Climate Action...- India TV Hindi
Image Source : PTI Prime Minister Narendra Modi addresses the Climate Action Summit in the United Nations General Assembly.

संयुक्त राष्ट्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिहाज से आदतों में बदलाव लाने के लिए एक वैश्विक जन आंदोलन की जरूरत बताई और भारत के गैर-परंपरागत (नॉन फॉसिल) ईंधन उत्पादन के लक्ष्य को दोगुने से अधिक बढ़ाकर 400 गीगावाट तक पहुंचाने का संकल्प व्यक्त किया।

पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में घोषणा की थी कि पेरिस जलवायु समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धता का पालन करते हुए भारत 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा का उत्पादन करेगा। मोदी ने सोमवार को घोषणा की कि भारत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, पनबिजली जैसे गैर-परंपरागत ईंधन के उत्पादन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘2022 तक हम अपनी अक्षय ऊर्जा उत्पादन की क्षमता को 175 गीगावाट के लक्ष्य से बहुत आगे 400 गीगावाट तक ले जाएंगे।’’

एक दिन पहले ही पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ रविवार को ह्यूस्टन में ‘हाऊडी मोदी’ नामक भव्य समारोह में मंच साझा किया था और आतंकवाद से लड़ने का समान दृष्टिकोण साझा करते हुए दोनों ने मित्रतापूर्ण संबंध झलकाए थे।

हालांकि अमेरिका और भारत दोनों ही जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भिन्न रुख रखते हैं। ट्रंप ने 2017 में पेरिस समझौते से वापस हटने का फैसला किया था और इसके लिए उन्होंने भारत और चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि समझौता अनुचित है क्योंकि इसके तहत अमेरिका को उन देशों के बदले में भुगतान करना पड़ेगा जिन्हें इसका सबसे ज्यादा लाभ होने जा रहा है।

पीएम मोदी ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस द्वारा आयोजित सम्मेलन में वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमें स्वीकार करना चाहिए कि अगर हमें जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौती से पार पाना है तो हम इस समय जो कुछ कर रहे हैं, वह पर्याप्त नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विभिन्न देश अनेक तरह के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज एक व्यापक प्रयास की जरूरत है जिसमें शिक्षा से लेकर मूल्यों तक और जीवनशैली से लेकर विकास के दर्शन तक सब शामिल हो। जलवायु कार्रवाई सम्मेलन का उद्देश्य पेरिस समझौते को लागू करने के कदमों को मजबूत करना है। पेरिस समझौते पर 2015 में हस्ताक्षर किये गये थे। 

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