संयुक्त राष्ट्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से मुलाकात की और दोनों नेताओं ने आपसी और क्षेत्रीय हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। दोनों नेताओं की मुलाकात को लेकर काफी प्रतीक्षा की जा रही थी क्योंकि यह बैठक तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान और अमेरिका के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में हुई।
दोनों नेताओं ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र से इतर मुलाकात की। दोनों नेताओं की जून में किर्गिस्तान के बिश्केक में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के मौके पर तय बैठक कार्यक्रम संबंधी वजहों से नहीं हो सकी थी। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है और वह अपनी तेल जरूरतों का करीब 80 प्रतिशत आयात से पूरा करता है।
हाल तक इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान उसका तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था। पिछले कुछ वर्षों में भारत और ईरान के संबंध बेहतर हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान और पश्चिम एशिया के साथ भारत के संबंधों को विस्तार देने के लिए मई 2016 में तेहरान का दौरा किया था।
यात्रा के दौरान भारत और ईरान ने करीब एक दर्जन समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। उनमें रणनीतिक चाबहार बंदरगाह के विकास से जुड़ा समझौता भी शामिल था। बाद में, भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने बंदरगाह के जरिए माल परिवहन के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। फरवरी 2018 में रूहानी ने भारत का दौरा किया था। वह पिछले एक दशक में भारत आने वाले पहले ईरानी राष्ट्रपति थे। उनकी यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने एक दर्जन समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे।