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संयुक्त राष्ट्र महासभा संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुंगुंदरनार, विवेकानंद का स्मरण किया

विश्व के सामने मौजूद तमाम गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने संबोधन में प्रसिद्ध तमिल दर्शनशास्त्री कनियन पुंगुंदरनार के साथ ही स्वामी विवेकानंद के उद्धरणों का शुक्रवार को स्मरण किया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : September 27, 2019 22:29 IST
PM Modi invokes Tamil philosopher Pungundranar, Vivekananda...
PM Modi invokes Tamil philosopher Pungundranar, Vivekananda in UNGA address

संयुक्त राष्ट्र: विश्व के सामने मौजूद तमाम गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों का अनुरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने संबोधन में प्रसिद्ध तमिल दर्शनशास्त्री कनियन पुंगुंदरनार के साथ ही स्वामी विवेकानंद के उद्धरणों का शुक्रवार को स्मरण किया। मोदी ने इन महान व्यक्तित्वों के उद्धरणों के जरिए इस बात पर जोर दिया कि खंडित दुनिया किसी के भी हित में नहीं है। 

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संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले पांच साल में भारत ‘‘राष्ट्रों में भाईचारे’’ की अपनी सदियों पुरानी परंपरा को मजबूत करने और वैश्विक कल्याण की दिशा में काम कर रहा है जो निश्चित तौर पर संयुक्त राष्ट्र के मुख्य उद्देश्यों के अनुरूप है। मोदी ने कहा कि भारत जिन मुद्दों को उठा रहा है, देश जिस तरह के नये वैश्विक मंचों के निर्माण में आगे आया है, उनके लिए गंभीर वैश्विक चुनौतियों एवं मुद्दों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। 

उन्होंने कहा, “भारत एक महान संस्कृति है जो हजारों वर्ष पुरानी है, एक संस्कृति जिसकी अपनी जीवंत परंपराएं हैं और जिसने सार्वभौमिक सपनों को शामिल किया है। हमारे मूल्य एवं संस्कृति हर किसी में दिव्यता देखती है और सभी के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।” तमिल कवि कनियन पुंगुदरनार के प्रसिद्ध उद्धरण “याधुम ऊरे यावरुम केलिर” का हवाला देते हुए कहा कि सीमा से इतर संबंधों की यह समझ भारत की विशिष्टता है। तमिल कवि की इस उक्ति का आशय ‘वसुधैव कुटुंबकम’ से है। 

स्वामी विवेकानंद के संदेश का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “150 साल पहले, महान आध्यात्मिक गुरु, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में धर्म संसद के दौरान “शांति एवं सौहार्द का संदेश दिया था, मतभेद का नहीं।” मोदी ने कहा, “‘‘विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए शांति और सौहार्द ही, एकमात्र संदेश है।’’

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