संयुक्त राष्ट्र: फिजी के नागरिक पीटर थॉमसन को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अगले सत्र के लिए अध्यक्ष चुना गया है। उसी सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून का उत्तराधिकारी चुना जाएगा।
चुनाव में कांटे का मुकाबला हुआ। पीटर को 94 देशों का मत मिला और उन्होंने 90 देशों का मत पाए साइप्रस के एंड्रियास मावरोयिएनिस को हराया। क्षेत्रीय बारी की व्यवस्था के तहत यह पद एशिया-प्रशांत महासागर क्षेत्र को मिलना था। सामान्य तौर पर जिसकी बारी रहती है, उसके लिए एक उम्मीदवार का प्रस्ताव दिया जाता है। इस बार आम सहमति नहीं बन पाई, जिसके बाद 193 सदस्यीय महासभा में मतदान के जरिए चुनाव हुआ।
थॉमसन की अध्यक्षता में ही महासभा अगले महासचिव का चुनाव करेगी। पहली बार इस चुनाव में पारदर्शिता की व्यवस्था रहेगी। यदि सुरक्षा परिषद के सुधार की प्रक्रिया सितंबर में समाप्त होने जा रहे मौजूदा सत्र में पारित नहीं किया गया तो थॉमसन उसे अपनी निगरानी में दोबारा प्रचलित करने प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। इसके पहले सुरक्षा परिषद के सुधारों की सुस्त रफ्तार की वह आलोचना कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इससे एवं अन्य मुद्दों से निपटने के लिए और अधिक प्रयास करने का आह्वान किया था।
फिजी के प्रधानमंत्री जोसैया वोरेक बेनिमरामा ने घोषणा की कि उनका देश सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का मजबूती के साथ समर्थन करता है। अपने चुनाव के बाद थॉमसन ने महासभा में कहा कि उनकी प्राथमिकता जनकल्याण को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के मुकाबले के लिए संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्यों को बढ़ावा देना होगा। उनका द्विपीय देश विशेष तौर पर वैश्विक तापमान बढ़ने से समुद्र का जलस्तर बढ़ने से खासतौर पर अतिसंवेदनशील है। उन्होंने कहा, "हम जलवायु परिवर्तन और समुद्रों के मुद्दों को विशेष परिप्रेक्ष्य में देख रहे हैं। आप मुझसे इस मुद्दे पर स्पष्टवादी होने की अपेक्षा कर सकते हैं।"
बाद में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने पूर्व अध्यक्ष जॉन ऐशे पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के मद्देनजर अपने कार्यालय में और पारदर्शिता लाने का वादा किया। ऐशे वर्ष 2013-14 में उस पद पर थे। अमेरिकी संघीय अभियोजक प्रीत भरारा ने मकाउ में काम कर रहे चीन के रियल एस्टेट कारोबारी 10 लाख डॉलर रिश्वत लेने का आरोप है।
थॉमसन वर्ष 2010-2011 में महासभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वह विकासशील देशों की संस्था जी-77 के अध्यक्ष रह चुके हैं। भारत भी जी-77 का सदस्य है। वह संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम(यूएनडीपी) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (यूएनएफपीए) के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे हैं। मतदान में सात मत अमान्य हुए और एक अनुपस्थित रहा।