वाशिंगटन: पेंटागन ने भारत एवं चीन से सीधी वार्ता करने की अपील की है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता गैरी रोस ने कहा, हम भारत एवं चीन को तनाव घटाने की खातिर प्रत्यक्ष वार्ता करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जिसमें किसी प्रकार की जोर जबरदस्ती नहीं हो। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने भी पिछले सप्ताह इसी प्रकार के बयान दिए थे। पेंटागन ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब पिछले कुछ वर्षों में चीन के लगभग सभी पड़ोसी बीजिंग पर सीमा विवादों के समाधान के लिए बल प्रयोग करने की रणनीति अपनाने का आरोप लगा रहे हैं।
सिक्किम सेक्टर में महीने भर से चल रहे भारत-चीन सीमा गतिरोध को यथास्थिति बदलने के लिए चीन की बल प्रयोग करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। भारत ने चीन के ऐसे कदम के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल इस महीने के अंत में ब्रिक्स की बैठक में भाग लेने के लिए बीजिंग जाएंगे। इस यात्रा के दौरान डोभाल इस मामले पर चीनी समकक्ष के साथ संभवत: वार्ता करेंगे। पेंटागन ने इस मामले में किसी का पक्ष लेने से इनकार कर दिया।
यह पूछे जाने पर कि क्या पेंटागन भारत एवं चीन के बीच तनाव बढ़ने को लेकर चिंतित है, रोस ने कहा, हम इस संबंध में और सूचना लेने के लिए आपसे भारत एवं चीन की सरकारों से बात करने को कहेंगे। हम भारत एवं चीन को तनाव कम घटाने की खातिर प्रत्यक्ष वार्ता करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हम इन मामलों पर किसी प्रकार की अटकलें नहीं लगाएंगे।
इससे पहले चीन की सरकारी मीडिया ने कहा कि अपनी जमीं का एक इंच हिस्सा खोना भी बर्दाश्त नहीं कर सकता और सैन्य तनातनी खत्म करने के लिए सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को वापस बुलाने की संभावना खारिज कर दी। कॉम्युनिस्ट पार्टी के मीडिया समूह के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स अखबार के एक संपादकीय में यह कड़ी टिप्पणी की गई। अखबार साारूढ़ दल के विचारों को प्रतिबिंबित करता है। दोनों देशों के बीच जारी तनाव के बीच अखबार हाल के हफ्तों में जमकर भारत विरोधी बयानबाजी कर रहा है।
अखबार ने कहा, चीन अपनी जमीं का एक इंच हिस्सा भी खोना बर्दाश्त नहीं कर सकता। यह चीनी लोगों की अटूट इच्छा और अनुरोध है। चीन सरकार अपने लोगों की मूलभूत इच्छा का उल्लंघन नहीं कर सकती और पीएलए चीनी लोगों को नीचा नहीं दिखाएगी। अखबार ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पर सिक्किम सेक्टर में भारत की कथित घुसपैठ को जायज ठहराने के लिए संसद में झूठ बोलने का भी आरोप लगाया।