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पाकिस्तान की राज्यव्यवस्था में भारत के साथ संबंध सामान्य रखने की क्षमता नहीं: मेनन

न्यूयार्क: भारत के पूर्व विदेश सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने परमाणु हथियारों से संपन्न पड़ोसी देशों यानी भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंधों को सुनियोजित वैमनस्य करार देते हुए कहा है

Bhasha
Updated : November 04, 2016 11:43 IST
Shiv Shankar Menon- India TV Hindi
Shiv Shankar Menon

न्यूयार्क: भारत के पूर्व विदेश सचिव और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने परमाणु हथियारों से संपन्न पड़ोसी देशों यानी भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंधों को सुनियोजित वैमनस्य करार देते हुए कहा है कि पाकिस्तान की राज्यव्यवस्था में यह क्षमता नहीं है कि वह भारत के साथ संबंध सामान्य बनाकर रख सके। 

मेनन ने कल न्यूयार्क विश्वविद्यालय के साउथ एशिया सेंटर द्वारा आयोजित एक गोष्ठी में भारत और पाकिस्तान के संबंधों से जुड़े सवाल के जवाब में कहा, मैं (भारत-पाक संबंधों) को आज सुनियोजित दुश्मनी करार दूंगा। मेरा मानना है कि यह सुनियोजित है। 

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह कश्मीर के मुद्दे के समाधान की कोई संभावना देखते हैं, तो पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रह चुके मेनन ने ना में जवाब दिया। 

उन्होंने कहा कि कश्मीर से जुड़े कई मुद्दे लंबे समय से बने हुए हैं और उनमें से कई के समाधान हम जानते हैं लेकिन उन्हें लागू किया जाना राजनीतिक रूप से मुश्किल प्रतीत होता है। 

मेनन ने कहा, मुझे नहीं लगता कि आज पाकिस्तान की राज्यव्यवस्था में भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाए रखने की क्षमता है। मुझे लगता है कि इसमें एक बड़ा व्यवस्थागत हित निहित है। 

च्वाइसेज: इनसाइड द मेकिंग ऑफ इंडियन फॉरेन पॉलिसी नामक किताब लिख चुके मेनन ने कहा कि उन्हें डर इस बात का है कि यदि यह भारत में दलगत राजनीति का मुद्दा बन गया, जो कि हमेशा से नहीं रहा, तो यहां भी वही सब होने लगेगा। 

उन्होंने जोर देकर कहा कि खासतौर पर 26/11 के मुंबई हमलों के बाद से भारत में पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंधों को लेकर उम्मीदें बेहद कम हैं। उन्होंने कहा, असल में, मुंबई हमलों के बाद, इन मसलों को निपटाने के लिए जनता का समर्थन बेहद कम है और सीमा पार से होने वाले सिलसिलेवार आतंकी हमले भी कोई मददगार साबित नहीं होते। इन सबको देखते हुए, मैं इन सभी मुद्दों के तीव्र समाधान की उम्मीद नहीं करूंगा। 

मेनन से कहा गया था कि सीरिया, रूस और यमन जैसे विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर भारत का रूख अमेरिका से अलग है, तो क्या वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में अमेरिका के साथ मतदान करेगा। इसपर मेनन ने जवाब दिया कि भारत को संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था में एक सीट को लेकर चिंता में समय नहीं बिताना चाहिए। उन्होंने कहा, क्षमा करें, लेकिन मेरे लिए सुरक्षा परिषद में एक सीट दरअसल यथास्थिति है। यह एक सौंदर्य प्रतियोगिता है। आप एक सौंदर्य प्रतियोगिता जीतना चाहते हैं तो आगे बढि़ए और आनंद उठाइए। 

उन्होंने कहा, यह उद्देश्य नहीं है। हमारा उद्देश्य भारत के रूपांतरण के लिए एक सहयोगी वातावरण तैयार करना और इसके लिए अमेरिका के साथ काम करना है। मुझे लगता है कि यह अमेरिका के भी हित में है। 

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