वाशिंगटन: पाकिस्तान की सेना भारत को असंतुलित करने और कश्मीर विवाद पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थ बनाने की कोशिश के तहत भारत पर हमला करने वाले आतंकवादी संगठनों की लगातार मदद कर रही है। 10 प्रमुख अमेरिकी थिंकटैंकों के प्रतिष्ठित दक्षिण एशियाई विशेषज्ञों के एक समूह की रिपोर्ट में यह कहा गया है। ए न्यू यूएस अप्रोच टू पाकिस्तान: एनफोर्सिंग एड कंडिशंस विदआउट कटिंग टाइज शीर्षक वाली इस रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की सेना ने भारत और पाकिस्तान सरकारों के शांति प्रयासों को अक्सर बाधित किया है। विशेष रूप से वर्ष 1999 में करगिल युद्ध के दौरान ऐसा हुआ।
यह रिपोर्ट शुक्रवार को जारी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान के सैन्य नेता भारत को असंतुलित करने और कश्मीर विवाद पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मध्यस्थ बनाने की कोशिश के तहत लगातार आतंकवादी संगठनों का सहयोग कर रहे हैं। इसमें कहा गया है, पाकिस्तान का अपनी सुरक्षा और विदेश नीति के रूप में आतंकवादी समूहों का इस्तेमाल करना भारत के प्रति उसकी सनक का हिस्सा है, जिसे वह अपने अस्तित्व के खतरे के रूप में देखता है। बाहर से देखने पर ऐसा लगता है कि भारत के संबंध में पाकिस्तान का पागलपन बेबुनियादी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हो सकता है कि भारत कश्मीर की क्षेत्रीय स्थिति पर फिर से बातचीत करने का इच्छुक नहीं हो, लेकिन कई भारतीय नेताओं ने शांति के लिए पाकिस्तान के साथ अस्थायी समझौता करने की कोशिश की है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने अफगानिस्तान और गठबंधन बलों से लड़ रहे कुछ आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने की नीति कभी नहीं बदली जिसने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के लिए अफगास्तिान को पनाहगाह बनने से रोकने का अमेरिका का उद्देश्य पूरा होना असंभव बना दिया है।
द हेरिटेज फाउंडेशन की लीसा कर्टिस और अमेरिका में पूर्व पाकिस्तानी राजदूत हुसैन हक्कानी के सह लेखन वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान का परमाणु हथियारों का विस्तार, विशेषकर सामरिक परमाणु हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलों को विकसित करना भी चिंता का कारण है। यह खासकर भारत के संदर्भ में चिंता का विषय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को लेकर ट्रंप प्रशासन की नीति ऐसी होनी चाहिये जिससे आतंकवादियों की आड़ में क्षेत्रीय सामरिक हित साधने के लिए पाकिस्तानी नेताओं को अधिक से अधिक कीमत चुकानी पड़े। अमेरिका लगातार पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य मदद उपलब्ध करा रहा है लेकिन यह सुनिश्चित नहीं किया जा रहा कि इस्लामाबाद आतंकवादियों की मदद करने की अपनी नीति बंद करें।
रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तानी सेना गत वर्ष जनवरी में भारत के पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमला कराने की आरोपी है जिसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के छह दिन पहले प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने अचानक लाहौर पहुंचने से बने सद्भावनापूर्ण माहौल को बिगाड़ दिया। कई बार जब भी द्विपक्षीय संबंध सुधरते दिखे तो पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने इन प्रयासों को विफल कर दिया।