वॉशिंगटन: भारत ने कई दशकों तक दुनिया के सामने पाकिस्तान द्वारा आतंकी संगठनों को आश्रय देने की बात रखी थी, लेकिन पश्चिमी देशों को इस खतरे का आभास तब हुआ, जब खुद उन्हें आतंक का कड़वा स्वाद झेलना पड़ा। अमेरिका के दो पूर्व राजनयिकों द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल पर हुए खुलासे ने यह बात भी साफ कर दी है कि पाकिस्तान की इस नापाक हरकत में उसकी खुफिया एजेंसी ISI का बड़ा हाथ था।
अमेरिका के पूर्व राजनयिकों विलियम मिलाम और फिलिप रेनर ने कहा है कि पाकिस्तान ने तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन बनाए ताकि भारत को कमजोर किया जा सके। एक ऑनलाइन पोर्टल के मुताबिक, पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत रह चुके विलियम मिलाम और ओबामा प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में दक्षिण एशिया के वरिष्ठ निदेशक रह चुके फिलिप रेनर ने कहा कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI इन समूहों को लगातार सुरक्षा और सहायता दे रही है। इस पोर्टल ने कई लेखों के माध्यम से ISI के दोहरे खेल का खुलासा किया गया था।
मिलान ने पोर्टल से कहा, ‘हम जानते हैं कि 1990 के दशक के मध्य में तालिबान के गठन के वक्त पाकिस्तान मौजूद था और देश को नियंत्रण में लेने की उसकी लड़ाई को पाकिस्तान ने खासा समर्थन भी दिया। हम जानते हैं कि हक्कानी नेटवर्क जो अफगान तालिबान से जुड़ा है, वह उसके लिए एक बढ़िया छद्म विकल्प बन गया है।’ मिलाम ने कहा कि यह तर्क कि ISI हक्कानी नेटवर्क, तालिबान और लश्कर-ए-तैयबा जैसे शत्रु समूहों का समर्थन करता है, इसे आमतौर पर पश्चिमी दुनिया के विशेषज्ञ सही मानते हैं लेकिन इसके सबूत बेहद गोपनीय तरीके से रखे गए हैं। मिलाम वर्ष 1998 से 2001 तक पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत थे।