Highlights
- आतंक के मोर्चे पर पाकिस्तान का नया कारनामा
- खुलकर आतंकियों का समर्थन करने वाले को बनाया अमेरिका में राजदूत
- पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का राष्ट्रपति भी रहा है मसूद खान
वाशिंगटन. दुनियाभर में आतंक फैलाने वाला हमारा पड़ोसी आतंक को लेकर हर रोज नए आयाम रच रहा है। न्यूज एजेंसी ANI ने एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि अब पाकिस्तान ने आतंक का समर्थन करने वाले PoK के पूर्व राष्ट्रपति मसूद खान को अमेरिका में अपना नया राजदूत नियुक्त किया है। अगस्त महीने में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही पाकिस्तान अब खुलकर आतंक और आतंकियों का समर्थन कर रहा है। अब उसका ये दांव दुनियाभर में उसकी किरकिरी कर रहा है।
अमेरिका की एक पत्रिका नेशनल रिव्यू के अनुसार, मसूद खान एक खतरनाक कट्टरपंथी है, जिसका पश्चिम में इस्लामवादियों और पूर्व में "जिहादियों" के साथ काम करने का एक लंबा इतिहास है। नेशनल रिव्यू के अनुसार, मसूद खान की नियुक्ति लगातार और खतरनाक हो रहे पाकिस्तानी शासन का प्रमाण है। पाकिस्तानी प्रशासन लगातार दुनियाभर में इस्लामिक कट्टरपंथियों का समर्थन करने के लिए काम कर रहा है।
अमेरिकी मैगजीन में बताया गया है कि इस साल जुलाई में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के राष्ट्रपति के रूप में मसूद खान ने आतंकवादी बुरहान वानी को लेकर एक "विशेष संदेश" जारी किया जो साल 2016 में मारा गया था। उसकी पांचवी बरसी पर मसूद खान ने अपने संदेश में कहा, "हमें आज बुरहान वानी का दुख है। वह हमारे दिलों में जिंदा रहेगा। उसने एक उद्देश्य के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।"
हिजबुल मुजाहिदीन के अलावा मसूद खान दूसरे आतंकी संगठनों को भी सपोर्ट करता है। 2019 में उसने इस्लामाबाद में ऑल पार्टीज कश्मीर सॉलिडेरिटी कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए नेशनल रिव्यू ने बताया कि मसूद खान ने हरकत-उल-मुजाहिदीन (एचयूएम) के संस्थापक फजलुर रहमान खलील के साथ मंच साझा किया है, जिसे अमेरिकी विदेश विभाग ने 1997 में एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया था।
मैगजीन की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि वित्त विभाग के अनुसार, "खलील ... ने ओसामा बिन लादेन की मौत से पहले तक अल-कायदा के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे। खलील यूबीएल के इंटरनेशनल इस्लामिक फ्रंट का एक प्रमुख सदस्य था और 1998 में संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ हमलों के लिए जारी यूबीएल के पहले फतवे का एक सह-हस्ताक्षरकर्ता था।" आपको बता दें कि मसूद खान हिंसक दक्षिण एशियाई इस्लामी आंदोलन जमात-ए-इस्लामी का भी समर्थक है। वो "लेडी अल-कायदा" के नाम से पहचाने जाने वाली आफिया सिद्दीकी का भी समर्थक है।