वॉशिंगटन: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के अमेरिका दौरे से पहले कांग्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकवादी समूहों के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से “निर्णायक” कार्रवाई न होने तक उसे मिलने वाली सुरक्षा सहायता बंद रहेगी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका ने जनवरी 2018 में पाकिस्तान को दी जाने वाली हर सुरक्षा सहायता को रोक दिया था। ट्रंप प्रशासन काल के दौरान यह किसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री का पहला उच्चस्तरीय दौरा होगा।
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) ने पाकिस्तान पर एक हालिया रिपोर्ट में कहा, “पाकिस्तान कई इस्लामी चरमपंथियों एवं आतंकवादी समूहों का पनाहगाह है और पाकिस्तान में आने वाली सरकारों के बारे में माना जाता है कि उन्होंने इसे बर्दाश्त किया और पाकिस्तान के उसके पड़ोसियों के साथ ऐतिहासिक संघर्षों में कुछ ने प्रतिनिधि बनकर इनका समर्थन भी किया है।”
सीआरएस अमेरिकी कांग्रेस की स्वतंत्र एवं द्विपक्षीय शोध शाखा है जो सांसदों के हित के मुद्दों पर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार करती है ताकि वे सूचना के आधार पर निर्णय कर सकें। इसकी रिपोर्ट क्षेत्र के विशेषज्ञ तैयार करते हैं और इसे कांग्रेस का आधिकारिक विचार नहीं माना जाता है। सीआरएस की हालिया रिपोर्ट में सांसदों को बताया गया कि 2011 में खुलासा हुआ था कि अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन कई वर्षों तक पाकिस्तान की शरण में रहा जिससे अमेरिकी सरकार को द्विपक्षीय संबंधों की गहन समीक्षा करनी पड़ी। सीआरएस की 15 जुलाई की इस रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान पर अपने पूर्ववर्तियों से ज्यादा सख्त रुख अपनाया है तथा वित्तीय मदद में कटौती करने और सुरक्षा संबंधित सहायता रोकने जैसे कद उठाए हैं।
इसके अलावा पाकिस्तान को ब्रिटेन ने भी बड़ा झटका दिया है। पाकिस्तान में चल रहे आतंकी शिविर और आतंकवाद को रोक पाने में विफल रहने के कारण ब्रिटेन उसे दिए जाने वाली आर्थिक मदद में कटौती कर सकता है। इसके लिए संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट दी है। ब्रिटेन में बढ़ती गरीबी और सरकार पर ब्रेक्सिट के मुद्दे पर राजनैतिक तनाव के कारण विदेशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में कटौती करने के लिए वहां की संसद का भारी दबाब है। इसमें खासतौर से पाकिस्तान को दिए जाने वाली आर्थिक मदद में कटौती करने की बात कही गयी है।