संयुक्त राष्ट्र: कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान को एक बार फिर झटका लगा है। पाकिस्तान ने युनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल के सामने कश्मीर का मुद्दा उठाने की कोशिश की लेकिन चीन को छोड़कर उसका साथ किसी ने नहीं दिया। सिक्योरिटी काउंसिल के सभी सदस्यों का मत था कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसे दोनों देशों को मिलकर सुलझाना चाहिए। भारत ने यूएन में कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसे इतनी मेहतन उन कामों के लिए करनी चाहिए जो उसे भारत ने कहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत से स्थाई प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि हमने देखा कि कैसे एक सदस्य देश अपनी साज़िश में फेल हो गया और दूसरे उसे देखते रहे। अकबरुद्दीन ने कहा, “भारत ने जैसा सोचा था वैसा ही नतीजा आया। हम इस बात से खुश हैं कि पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने गलत तथ्यों के आधार पर जिस तरह की स्थिति दिखाने की कोशिश की थी उसपर किसी ने भरोसा नहीं किया।“
उन्होंने आगे कहा, “हम खुश हैं कि सहयोगी देशों ने कहा कि इसे सुलझाने के लिए द्विपक्षीय बातचीत के विकल्प मौजूद हैं। पाकिस्तान गलत प्रमाण देकर इस मुद्दे को उठाने की कोशिश करता रहता है ताकि उसकी अपनी करतूतों से ध्यान हट सके। आज पाकिस्तान को साफ संकेत मिल गया है कि वो भारत के साथ अपने संबंध सामान्य करने के लिए मेहनत करे।“
दरअसल, चीन ने न्यूयॉर्क में बुधवार (15 जनवरी) को युनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) की बंद कमरे में हुई बैठक में एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन उसकी यह कोशिश नाकाम हो गई क्योंकि परिषद् के अन्य सभी देशों ने इसका विरोध किया।
फ्रांसीसी कूटनीतिक सूत्रों ने पहले ही बताया था कि फ्रांस ने इस शक्तिशाली संस्था में एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए यूएनएससी के एक सदस्य देश के अनुरोध पर गौर किया है और वह इसका विरोध करने जा रहा है, जैसा कि उसने पहले के एक मौके पर किया था।
अफ्रीकी देशों से जुड़े मुद्दे पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद् की बंद कमरे में बैठक बुलाई गई। चीन ने 'कोई अन्य कामकाज बिंदु के तहत कश्मीर मुद्दे पर चर्चा का अनुरोध किया। सूत्रों ने बताया कि फ्रांस का रुख नहीं बदला है और यह बहुत स्पष्ट है कि कश्मीर मुद्दे का हल अवश्य ही द्विपक्षीय तरीके से किया जाए। यह बात कई मौकों पर कही गई है और संरा सुरक्षा परिषद् में साझेदारों से इसे दोहराता रहेगा।
गौरतलब है कि पिछले महीने फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने यूएनएससी की बंद कमरे में हुई एक बैठक में कश्मीर मुद्दा पर चर्चा कराने की चीन की कोशिश नाकाम कर दी थी। जम्मू कश्मीर का भारत द्वारा पुनर्गठन किया जाना चीन को नागवार गुजरा है।