वॉशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के बाद इमरान खान सरकार की तरफ से मिले नए शांति संदेशों के बीच अमेरिका ने पाकिस्तान सरकार से साफ किया है कि आतंकवादी समूहों को अलग-थलग करके दक्षिण एशिया में सतत शांति लाने की जिम्मेदारी उसकी है।
खान ने प्रधानमंत्री मोदी के पुन: चुने जाने के बाद लिखे दूसरे पत्र में कहा कि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे समेत सभी मतभेदों को सुलझाने के लिए भारत के साथ बात करना चाहता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों की जनता को गरीबी से उबारने के लिए दोनों के बीच वार्ता ही एकमात्र समाधान है और क्षेत्र के विकास के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। हालांकि, भारत ने बातचीत के पाकिस्तान के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि आतंकवाद और वार्ता साथ में नहीं चल सकते और किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में 13-14 जून को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से इतर दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच किसी द्विपक्षीय मुलाकात की योजना नहीं है।
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस सप्ताह पीटीआई से कहा, ‘‘अमेरिका वास्तव में चाहता है कि पाकिस्तान में गिरफ्तारियां हों और मुकदमे चलें तथा इन समूहों को आजाद घूमने, हथियार खरीदने, भारत में प्रवेश करने और हमले करने नहीं दिए जाएं।’’ नाम जाहिर नहीं होने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ऐसे सतत कदम देखना चाहता है जिनसे आतंकियों की गतिविधियां बंद हो जाएं।
भारत-पाक के बीच तनाव पर अमेरिका के आकलन से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा, ‘‘जब तक इन समूहों को अलग-थलग नहीं किया जाता, तब तक भारत और पाकिस्तान के लिए सतत शांति हासिल करना बहुत कठिन है। इसलिए इन समूहों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की है।’’
विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले के मद्देनजर अमेरिका ने पाकिस्तान को प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के खिलाफ कुछ शुरूआती कदम उठाते देखा है। अधिकारी ने कहा, ‘‘हम इन कदमों का स्वागत करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने हमेशा इस बात पर सहमति जताई है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बुनियादी कारणों पर ध्यान देना जरूरी है। यह तनाव आतंकी ताकतों की वजह से है जिनकी पाकिस्तान की सरजमीं पर पनाहगाह हैं। इसलिए हम निश्चित रूप से एक ऐसे माहौल के निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं जिसमें संवाद होगा।’’