वाशिंगटन: ट्विटर और सोशल मीडिया के अन्य मंच सही समय में प्राकृतिक आपदाओं का पता लगाने में मदद कर सकते हैं और वैज्ञानिकों की मानें तो किसी इलाके में प्राकृतिक आपदा आने के दौरान जिन लोगों को त्वरित मदद की आवश्यकता होती है और जो लोग इससे सबसे पहले प्रभावित होते हैं उन्हें सोशल मीडिया के मंचों के जरिये, समय रहते सबसे पहले सचेत किया जा सकता है। गौरतलब है कि हर दिन 50 करोड़ से अधिक ट्वीट किये जाते हैं। लिहाजा आपदाओं के दौरान समुदाय के लोग इसके असर से कैसे निपटें, इस बारे में नये शोध में आंकड़े के इस्तेमाल के नये नये तरीकों का पता लगाया जा रहा है। (डोकलाम विवाद पर चीनी मीडिया ने जारी किया नया वीडियो, जानें अब क्या कहा)
स्थानीय सरकारें एवं राहत संस्थाएं किसी आपदा के समय समुदाय की इससे निपटने की क्षमता या उसके बाद के प्रभाव का आकलन कर सकती हैं लेकिन वे वास्तविक समय में इनके असर का आकलन नहीं कर सकतीं। अमेरिका में पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनीवर्सिटी से शोधकर्ताओं ने आपदा से सबसे पहले प्रभावित होने वाले लोगों को सतर्क करने के लिये सोशल मीडिया की क्षमता बताई।
उन्होंने अमेरिका में आये भीषण सैंडी तूफान के दौरान भेजे गये ट्विट्स और न्यूयार्क, न्यूजर्सी तथा पेन्सिलवेनिया में एक जनोपयोगी सेवा कंपनी द्वारा घटना के बाद बिजली जाने के बारे में उपलब्ध करायी गयी सूचना की तुलना की। पावर ग्रिड और ट्विटर पर ट्वीट के जरिये लोगों की एक करोड़ बार से अधिक की बातचीत से प्राप्त सूचना की तुलना कर टीम ने ऐसी घटनाओं का पता लगाने के लिये एक प्रणाली तैयार की।