वाशिंगटन: अमेरिका यदि भारतीय कानून से थोड़ी सी सीख ले और सख्त हथियार कानून लागू करे तो वर्जीनिया में दो पत्रकारों की लाइव टेलीकास्ट के दौरान हुई हत्या जैसी त्रासदियों को रोका जा सकता है।
भारत दुनिया में अमेरिका के बाद बंदूक मालिकों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है।
शोध संस्थान 'प्यू रिसर्च सेंटर' के अनुसार, भारत में 1.25 अरब की आबादी पर 4.6 करोड़ लोगों के पास बंदूकों के लाइसेंस हैं, इसके बावजूद यह आम लोगों द्वारा गोलीबारी किए जाने के मामले में दुनिया के शीर्ष- पांच देशों में भी शामिल नहीं है।
सीएनएन ने एक नवीन शोध के हवाले से कहा कि 27 करोड़ से 31 करोड़ बंदूकों के साथ 31.9 करोड़ की आबादी वाले अमेरिका में लगभग हर व्यक्ति के पास बंदूक है और 1966 से 2012 के बीच गोलीबारी की 90 बड़ी घटनाएं हुईं।
इस तरह की दुर्घटनाओं के मामले में अमेरिका अकेले पूरी दुनिया की एक तिहाई दुर्घटनाओं का गवाह रहा है। इसी अवधि में पूरी दुनिया में इस तरह की कुल 292 दुर्घटनाएं सामने आईं और दुनिया की मात्र पांच फीसदी आबादी के साथ अमेरिका के लिए यह काफी अधिक मानी जाएगी।
अलबामा विश्वविद्यालय में क्रिमिनल जस्टिस के एसोसिएट प्रोफेसर एमड लैंकफोर्ड द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, सख्त हथियार कानूनों के जरिए इसमें काफी सुधार लाया जा सकता है।
संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के अनुसार अमेरिका में 2006 से 2011 के बीच इस तरह की सार्वजनिक गोलीबारी की 172 घटनाएं हुई, जिनमें से हर घटना में कम से कम चार लोगों की मौत हुई।
वहीं इस तरह की दुर्घटनाओं के आंकड़े जुटाने वाली मास शूटिंग ट्रैकर वेबसाइट के अनुसार सिर्फ इस वर्ष अब तक 239 दिनों में गोलीबारी की 249 घटनाएं घटीं।
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि आसानी से बंदूक की उपलब्धता और जल्द मशहूर होने की चाहत के कारण इस तरह की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है।
वजीर्निया में पत्रकार द्वय की हत्या के मामले में ही हमलावर ने वजीíनया टेक में 2007 में हुई गोलीबारी की घटना को अंजाम देने वाले अपराधी की प्रशंसा की।
मेसाचुसेट्स के एक संगठन 'स्टॉफ हैंडगन वॉयलेंस' के अनुसार 14 दिसंबर, 2012 को कनेक्टिकट के स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों की हुई नृशंस हत्या के बाद से अब तक इस तरह की घटनाओं में 84,523 अमेरिकी नागरिकों की मौत हो चुकी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी कहा, "जब इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं, मुझे बहुत दुख पहुंचता है। देशभर में गोलीबारी के कारण हुई मौतें आतंकवाद के कारण हुई मौतों के बराबर पहुंच चुकी हैं।"
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