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उत्तर कोरिया ने ललकारते हुए कहा, ‘हम हैं सबसे शक्तिशाली परमाणु व सैन्य महाशक्ति’

वैश्विक व्यवस्था को चुनौती देते हुए उत्तर कोरिया ने 'विश्व का सबसे शक्तिशाली परमाणु व सैन्य देश' बनने का दंभ भरा है...

Reported by: IANS
Published : December 16, 2017 19:33 IST
Representational Image | AP Photo
Representational Image | AP Photo

संयुक्त राष्ट्र: वैश्विक व्यवस्था को चुनौती देते हुए उत्तर कोरिया ने 'विश्व का सबसे शक्तिशाली परमाणु व सैन्य देश' बनने का दंभ भरा है। प्योंगयांग ने वैश्विक महाशक्ति बनने की महात्वाकांक्षा के संबंध में शुक्रवार को बयान दिया था। इसके पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सुरक्षा परिषद को चेतावनी देते हुए कहा था, ‘विश्व में आज कोरियाई महाद्वीप की स्थिति बहुत तनावपूर्ण और खतरनाक है।’ उत्तर कोरिया के स्थायी प्रतिनिधि जा सोंग-नाम ने एक सत्र के दौरान सुरक्षा परिषद से अपने परमाणु व मिसाइल कार्यक्रम के खतरे पर कहा, ‘प्योंगयांग आगे बढ़ेगा और दो मोर्चो पर एकसाथ आगे बढ़ने के साथ देश परमाणु व सैन्य स्तर पर विश्व का सबसे ताकतवर देश बनने के लिए काफी प्रगति की है।’

'दो मोर्चे' पर आगे बढ़ने का मतलब उत्तर कोरिया द्वारा एक साथ सैन्य व आर्थिक क्षमता में आगे बढ़ना है, दोनों ही क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध का सामना कर रहे हैं। जा सोंग नाम ने उत्तर कोरिया द्वारा 29 नवंबर को किए गए अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण को महान नवंबर समारोह 'ग्रेट नवंबर इवेंट' कहा, जिसने देश के परमाणु शक्ति व रॉकेट शक्ति कार्यक्रम को परिपूर्ण करने में मदद की। कहा जा रहा है कि यह मिसाइल अमेरिका में किसी भी लक्ष्य को भेदने में सक्षम है और परीक्षण के दौरान यह देश के आर्थिक विशेष क्षेत्र की परिधि में जापान तट पर गिरा था। विश्व के सबसे ताकतवर परमाणु व सैन्य शक्ति बनने का दंभ भरने के साथ ही जा ने कहा, ‘जब तक हमारे हितों को खतरा पैदा नहीं होता, प्योंगयांग किसी भी देश या क्षेत्र के लिए खतरा नहीं है।’ उन्होंने हालांकि मिसाइल प्रौद्योगिकी प्रसार के संबंध में कुछ नहीं बोला।

अमेरिकी अधिकारियों व अमेरिकी और अंतर्राष्ट्रीय दस्तावेजों के अनुसार, पाकिस्तान व उत्तर कोरिया ने 1990 के दशक में एक समझौते के अंतर्गत, पाकिस्तान को उत्तर कोरिया से मिसाइल की तकनीक मिली थी और इसके बदले पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक दी थी। अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने जे के बयान से पहले कहा था, ‘उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे से निपटने के लिए सभी विकल्प टेबल पर हैं, जबकि प्योंगयांग के साथ संचार के सभी रास्ते भी खुले हुए हैं। अमेरिका खुद की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगा, लेकिन साथ ही हमने बातचीत के दरवाजे भी खोल रखे हैं।’

बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए टिलरसन ने कहा, ‘वॉशिंगटन प्योंगयांग से बातचीत के लिए किसी भी पूर्व शर्त को स्वीकार नहीं करेगा।’ चीन व रूस द्वारा अमेरिका व दक्षिण कोरिया के संयुक्त युद्धाभ्यास गतिविधि को रोकने के बदले उत्तर कोरिया के परमाणु व मिसाइल गतिविधि पर रोक के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा, ‘हम बातचीत के लिए पूर्व शर्त 'फ्रीज-फॉर-फ्रीज' को स्वीकार नहीं कर सकते। हम बातचीत की शर्त के अंतर्गत किसी भी तरह के प्रतिबंध पर ढील को स्वीकार नहीं कर सकते। हम बातचीत के लिए पूर्व शर्त के तहत उत्तर कोरिया में मानवीय सहायता की बहाली को भी स्वीकार नहीं करेंगे।’

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