न्यूयॉर्क: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ हर मीटिंग में कश्मीर पर बात तो करते हैं, लेकिन उनके बयान हमेशा अगर या मगर का भाव लिए होते हैं। इसी तरह मंगलवार को दावोस में इमरान खान के साथ अपनी बैठक में ट्रंप ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सामने कश्मीर पर ‘मध्यस्थता’ करने की इच्छा तो जताई, लेकिन इस बैठक को लेकर अमेरिका के आधिकारिक बयान में इस मुद्दे का विशेष रूप से जिक्र ही नहीं किया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका किसी खास मकसद से ऐसा कर रहा है।
आधिकारिक बयान में नहीं हुआ जिक्र
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दावोस में मंगलवार को हुई बैठक में आधिकारिक बयान में सिर्फ 'क्षेत्रीय मुद्दों' का उल्लेख किया गया। इसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें से प्रमुख रूप से अफगानिस्तान रहा, जहां अमेरिका तालिबान के साथ समझौते के लिए बातचीत कर रहा है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान और ईरान से जुड़े हालात को देखते हुए अभी अमेरिका को पाकिस्तान की मदद की जरूरत है। ऐसे में वह नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते खराब हों। यही वजह है कि ट्रंप ने कश्मीर पर इमरान की बात सुनी, लेकिन आधिकारिक बयान में अमेरिका इसे गोल कर गया।
शब्दों को लेकर सावधान रहे ट्रंप
ट्रंप ने इमरान से बातचीत में कहा कि वह कश्मीर के मसले पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। ट्रंप अतीत की तुलना में कश्मीर मुद्दे में संभावित भागीदारी को लेकर अपने शब्दों में सावधानी बरत रहे थे। अपने बयान में उन्होंने कहा, ‘अगर हम मदद कर सकते हैं।’ माना जा रहा है कि ट्रंप के रुख में यह बदलाव कश्मीर मुद्दे में किसी तीसरे पक्ष के शामिल होने के भारत के विरोध से आया है। ट्रंप ने जुलाई में कूटनीतिक रूप से हंगामा खड़ा कर दिया था, जब उन्होंने वॉशिंगटन में खान के साथ बैठक से पहले दावा किया कि PM नरेंद्र मोदी ने उन्हें कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए कहा था। भारत ने ट्रंप के इस दावे का सख्ती से खंडन किया था।
अफगानिस्तान पर रहा फोकस
अमेरिका द्वारा जारी किए गए बयान के मुताबिक, इमरान खान ने सुझाव दिया कि अमेरिका को भारत के साथ मुद्दों को हल करने में भूमिका निभानी चाहिए। बयान के मुताबिक इमरान ने कहा, ‘हमारे लिए, पाकिस्तान में, यह एक बड़ा मुद्दा है। निसंदेह हम हमेशा उम्मीद करते हैं कि अमेरिका इसे सुलझाने में अपनी भूमिका निभाएगा, क्योंकि कोई अन्य देश नहीं कर सकता है।’ ट्रंप व खान के बीच मंगलवार का फोकस अफगानिस्तान था, जहां अमेरिका शांति समझौते के लिए तालिबान से बातचीत कर रहा है, जिससे अमेरिका को वहां से अपने सैनिकों को हटाने में मदद मिलेगी और वह अपनी मौजूदगी कम करेगा।