वाशिंगटन: राष्ट्रपति के तौर पर बराक ओबामा के बस एक सौ दिन बचे हैं और इस बीच एक अहम अमेरिकी गैर सरकारी संगठन ने सलाह दी है कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के 100 दिन के अंदर अंदर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करें ताकि दोनों देशों के बीच जारी निकट संबंधों की अहमियत का मजबूत संकेत जाए। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक ऐंड इंटरनेशनल स्टडीज ने नवंबर के चुनाव में निर्वाचित होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वह सुनिश्चित करे कि भारत आधारभूत संधियों पर दस्तखत करे जो उसके अनुसार दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए अहम हैं।
सेंटर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन संधियों की गैर मौजूदगी में अमेरिका के लिए भारत को इस तरह की कुछ खास अत्याधुनिक सेंसिंग, कंप्यूटिंग और संचार प्रौद्योगिकियां प्रदान करना अगर पूरी तरह नहीं तो लगभग नामुमकिन हो जाएगा जिसे भारत अपनी रक्षा क्षमता के लिए अनिवार्य मानता है। रिपोर्ट ने कहा है, अमेरिकी विदेश मंत्रालय एवं विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में कोई चतुर्भूजीय सुरक्षा संवाद स्थापित करने के लिए अगले प्रशासन को ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के साथ काम करना चाहिए। इस संवाद को पूरे प्रशांत एवं हिंद महासागर क्षेत्रों में साझे हितों के मुद्दों पर केन्दि्रत करना चाहिए। इसने कहा है कि नए प्रशासन के पहले 100 दिन के अंदर अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री की मुलाकात के लिए विशेष अवसर का सृजन द्विपक्षीय रिश्तों के महत्व के बारे में मजबूत संकेत देगा।
सेंटर ने अपनी रिपोर्ट में अमेरिकी और भारतीय विदेश मंत्रालय के बीच के पूर्वी एशिया विमर्श के तर्ज पर पश्चिम एशिया पर अमेरिका और भारत के बीच एक संवाद स्थापित करने का भी आग्रह किया। सेंटर ने कहा कि अमेरिका एशिया-प्रशांत के पुन:संतुलन की अपनी रणनीति को सुदृढ़ करने की कोशिश कर रहा है और इससे अमेरिका को भारत के एक उभरते नेता के साथ संवाद करने का मौका मिलेगा जबकि भारत को विश्व के साथ अपने रिश्तों की तरजीह फिर से तय करने का मौका मिलेगा। उसने कहा कि ओबामा ने मोदी के साथ मजबूत रिश्ते बनाए और उच्चतम स्तर पर संवाद बरकरार रखा। भारत के साथ अमेरिकही संवाद अधिकाधिक सुरक्षा पहलुओं पर केन्दि्रत रहे जबकि भारत ने उसका गरमजोशी से जवाब दिया।