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कोरोना का भी पता लगा लेगा यह अनोखा मास्क, 90 मिनट में देगा रिपोर्ट

आने वाले समय में उम्मीद है कि लोगों के कपड़ों से कोविड-19 संक्रमण का पता लग सकेगा। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और एमआईटी के साइंटिस्ट ने एक ऐसा प्रोटोटाइप फेस मास्क तैयार किया है, जो पहनने वाले में कोविड-19 का निदान लगभग 90 मिनट में कर सकता है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 30, 2021 17:30 IST
New prototype face mask can detect COVID-19 infection in wearers- India TV Hindi
Image Source : PTI आने वाले समय में उम्मीद है कि लोगों के कपड़ों से कोविड-19 संक्रमण का पता लग सकेगा।

बोस्टन: आने वाले समय में उम्मीद है कि लोगों के कपड़ों से कोविड-19 संक्रमण का पता लग सकेगा। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और एमआईटी के साइंटिस्ट ने एक ऐसा प्रोटोटाइप फेस मास्क तैयार किया है, जो पहनने वाले में कोविड-19 का निदान लगभग 90 मिनट में कर सकता है। इसे पहनने के डेढ़ घंटे के अंदर पता चल सकता है कि उसे पहनने वाले को SARS-CoV-2 या कोरोना वायरस का संक्रमण तो नहीं है। 

पत्रिका ‘नेचर बायोटेक्नोलॉजी’ में इस मास्क डिजाइन का उल्लेख है। इसके ऊपर छोटे-छोटे डिस्पोजेबल सेंसर लगे होते हैं जिन्हें दूसरे मास्क में भी लगाया जा सकता है और इनसे अन्य वायरसों के संक्रमण का भी पता चल सकता है। 

साइंटिस्ट्स के अनुसार, इन सेंसरों को न केवल फेस मास्क पर बल्कि प्रयोगशालाओं में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कोट जैसे परिधान आदि पर भी लगाया जा सकता है। इस तरइ इनसे स्वास्थ्य कर्मियों को वायरस के संभावित खतरे पर नजर रखी जा सकती है। 

अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर जेम्स कॉलिन्स ने कहा, ‘‘हमने देखा कि वायरस या बैक्टीरियल न्यूक्लिक एसिड का पता लगाने के लिए कई तरह के सिंथेटिक जैविक सेंसर का उपयोग किया जा सकता है। इनसे कई जहरीले रसायनों का भी पता चल सकता है।’’ 

शोधकर्ताओं ने शोध में व्यक्ति की सांस में वायरल कणों का पता लगाने के लिए उसके मास्क के अंदर सेंसर लगा दिया। मास्क में पानी का एक छोटा जलाशय भी शामिल होता है, जब व्यक्ति टेस्ट के लिए तैयार हो, तो वह एक बटन दबाकर इसे छोड़ सकता है। जब इस सेंसर को आम फेस मास्क में लगाया गया, तो यह तकनीक एक मरीज़ की सांस में SARS-CoV-2 वायरस की उपस्थिति का पता लगाने में सक्षम थी।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में वायस इंस्टीट्यूट की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ये बटन युक्त मास्क मानक न्यूक्लिक एसिड-आधारित नैदानिक ​​परीक्षणों, जैसे पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) की तुलना में सटीकता के स्तर पर 90 मिनट के अंदर परिणाम देता है।

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