वाशिंगटन: अमेरिका में मुहाजिरों के एक समूह ने ट्रंप प्रशासन द्वारा आतंकी समूहों को ‘शरण’ देने पर पाकिस्तान को चेतावनी दिये जाने का स्वागत किया है। ‘मुहाजिर’’ शब्द का इस्तेमाल उर्दू बोलने वाले उन प्रवासियों के लिए किया जाता है जिन्होंने 1947 में भारत छोड़ा था और पाकिस्तान चले गये थे। सिंध प्रांत में भारी संख्या में ऐसे लोग बसे हुये हैं। युद्धग्रस्त देश में जमीनी वास्तविकता का जायजा लेने के लिए अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस हाल ही में अफगानिस्तान अघोषित यात्रा पर गये थे। इस यात्रा के दौरान उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान और अन्य आतंकी समूहों को सुरक्षित पगाहगाह मुहैया कराने पर पाकिस्तान को चेतावनी दी है। (फ्लैशबैक 2017: 6 ऐसी फ़ेक न्यूज़ जिन्हें मान लिया गया सच )
पाकिस्तान को एक और कठोर चेतावनी देते हुये पेंस ने कहा था, ‘‘जैसा की राष्ट्रपति ने कहा है, ऐसा अब मैं बता रहा हूं। अमेरिका के साथ भागीदारी करने से पाकिस्तान को बहुत फायदा हुआ है और अपराधियों एवं आतंकवादियों को शरण देते रहने से पाकिस्तान को बहुत खामियाजा उठाना पड़ सकता है।’’ ट्रंप को लिखे एक पत्र में वर्ल्ड मुहाजिर कांग्रेस (डब्ल्यूएमसी) ने अफगानिस्तान में पेंस द्वारा इस सिलसिले में दिये गये बयान का स्वागत किया है।
डब्ल्यूएमसी ने कहा है कि दक्षिण एशिया में विशेषकर पाकिस्तानी सेना प्रतिष्ठान और खुफिया शाखा इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (आईएसआई) के जरिए आतंकवादी संगठनों को सहारा देने और सहयोग करने की दुर्भावनापूर्ण नीति को लेकर पाकिस्तान को ‘चेतावनी’ देना एक ‘साहसिक’ नीति है। अपने पत्र में डब्ल्यूएमसी ने पाकिस्तान के संबंध में दक्षिण एशिया नीति तैयार करने में ट्रंप प्रशासन को मदद करने का भी प्रस्ताव दिया है। ट्रंप ने अगस्त में अपनी दक्षिण एशिया नीति की घोषणा की थी जिसमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ज्यादा कुछ नहीं करने का पाकिस्तान पर आरोप लगाया था।