वॉशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने आरोप लगाया है कि चीन को शायद वायरस के बारे में नवंबर से ही पता था। इसी के साथ उन आरोपों को एक बार फिर बल मिला है कि चीन वायरस की जानकारी देने को लेकर पारदर्शी नहीं रहा है। पोम्पिओ ने गुरुवार को एक इंटरव्यू में कहा, ‘आप याद करें तो इस तरह के पहले मामले के बारे में चीन को संभवत: नवंबर में ही पता चल गया था और मध्य दिसंबर तक तो निश्चित तौर पर।’
दिल्ली के शाहदरा में एक ही परिवार के 6 लोग कोरोना पॉजिटिव, 11 महीने का बच्चा भी शामिल
‘उन्होंने वायरस के बारे में बहुत देर से बताया’
पोम्पिओ रेडियो प्रेजेंटर लैरी ओकोन्नोर से कहा, ‘उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समेत विश्व में किसी और को इस बारे में बता पाने में बहुत देर की।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका को चीन के वुहान शहर में पैदा हुए सार्स-सीओवी-2 वायरस के मूल नमूने के साथ ही और अधिक सूचनाओं की दरकार है। उन्होंने कहा, ‘पारदर्शिता का मुद्दा नवंबर, दिसंबर और जनवरी में क्या हुआ? केवल उस ऐतिहासिक मामले को समझने भर के लिए आवश्यक नहीं है बल्कि यह आज भी उतना ही मायने रखता है। यह अब भी अमेरिका में और असल में पूरे विश्व में जिंदगियों को प्रभावित कर रहा है।’
वायरस का भंडाफोड़ करने वालों को हिरासत में लिया
चीन ने शुरुआत में वायरस की सूचना को बाहर नहीं आने दिया और इसका भंडाफोड़ करने वालों को हिरासत में ले लिया। वैश्विक महामारी बनने से पहले इस वायरस के प्रकोप को 31 दिसंबर को आधिकारिक मान्यता दी गई जब वुहान में अधिकारियों ने निमोनिया के रहस्यमयी मामलों की जानकारी दी थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने चीन और WHO दोनों की तीखी आलोचना की है और उन पर आरोप लगाया है कि दोनों ने महामारी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया। पोम्पिओ ने इससे पहले उन खबरों से भी इनकार नहीं किया था कि कोरोना वायरस वुहान की विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला से निकला है और प्रयोगशाला तक अंतरराष्ट्रीय पहुंच की मांग भी की थी।