वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सोमवार शाम को बहुप्रतीक्षित डिजिटल शिखर वार्ता होगी। दोनों पक्ष अमेरिका-चीन संबंधों में आये तनाव को कम करने के इच्छुक दिख रहे हैं। व्हाइट हाउस दोनों नेताओं के बीच होने वाले इस वीडियो कॉल को लेकर बहुत अधिक उम्मीदें नहीं लगा रहा है। बाइडन इस दौरान इस बात पर जोर दे सकते हैं कि अमेरिका और चीन को दोनों देशों के बीच जटिल संबंधों में संघर्ष के क्षेत्रों को रोकने की आवश्यकता है।
व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने कहा कि बैठक से कोई बड़ी घोषणा होने की उम्मीद नहीं है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने शिखर बैठक के समय की घोषणा करते हुए एक बयान में कहा, ‘‘दोनों नेता अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा का जिम्मेदारी से प्रबंधन करने के तरीकों के साथ ही एक साथ काम करने के तरीकों पर भी चर्चा करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति बाइडन अमेरिका के इरादों और प्राथमिकताओं को स्पष्ट करेंगे तथा हमारी चिंताओं को भी स्पष्ट करेंगे।’’ फरवरी के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह तीसरी मुलाकात होगी। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका और चीन ने इस सप्ताह ग्लासगो, स्कॉटलैंड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में अपने सहयोग को बढ़ाने और जलवायु-हानिकारक उत्सर्जन पर लगाम लगाने के वास्ते कार्रवाई में तेजी लाने का संकल्प लिया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान राष्ट्रपति जो बाइडन अमेरिका के इरादे स्पष्ट करेंगे और चीन के साथ देश की चिंताओं के बारे में अपनी बात रखेंगे। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने बताया कि यह मुलाकात ऐसे वक्त पर हो रही है जब शी जिनपिंग चीन में और ताकतवर होकर उभरे हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने राजनीतिक इतिहास में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की स्थिति को मजबूत करते हुए एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव के पारित होने से चीन की सत्ता पर शी की पकड़ अनिवार्य रूप से मजबूत हो गई है।
शी-बाइडन की डिजिटल शिखर-वार्ता के लिए करीबी संपर्क में हैं चीन और अमेरिका: चीनी प्रवक्ता
चीन ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन के बीच पहली डिजिटल शिखर वार्ता के लिए वह अमेरिका के साथ करीबी संपर्क में है और उम्मीद जताई कि वाशिंगटन द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर वापस लाने के लिए काम करेगा। अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले महीने कहा था कि वे इस वर्ष के अंत से पहले बाइडन और शी के बीच डिजिटल बैठक के लिए चीन के साथ संभावित समझौते पर पहुंच गये हैं।
कुछ खबरों में कहा गया है कि बैठक सोमवार को हो सकती है, वहीं दोनों पक्षों ने कोई विशिष्ट ब्योरा और पक्की तारीख नहीं बताई है। चीन के विदेश मंत्रालय की नियमित ब्रीफिंग में शी-बाइडन की डिजिटल शिखर वार्ता के संबंध में पूछे गये एक प्रश्न पर मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि चीन और अमेरिका अपने नेताओं की बैठक की विशिष्ट व्यवस्थाओं पर करीबी संपर्क में हैं। वांग ने कहा कि राष्ट्रपति शी ने इस साल अनुरोध पर राष्ट्रपति बाइडन के साथ दो बार फोन पर बातचीत की थी। दोनों राष्ट्र प्रमुखों ने अनेक तरीकों से नियमित संपर्क बनाकर रखने पर सहमति जताई।
वांग ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अमेरिकी पक्ष बैठक को सफल बनाने तथा चीन-अमेरिका संबंधों को स्थिर विकास की सही पटरी पर लौटाने के लिए चीन के साथ काम करेगा।’’ पिछले कुछ सालों में अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है। बाइडन से पहले राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ सख्त रुख अपनाया था। बाइडन प्रशासन ने ट्रंप के सख्त रुख को कायम रखा है और बीजिंग पर अनेक मुद्दों पर सामूहिक दबाव बनाने के लिए अमेरिका के और परंपरागत सहयोगियों के साथ काम किया है। इन मुद्दों में मानवाधिकार, ताइवान, शिनझियांग और तिब्बत शामिल हैं।
हालांकि, चीन और अमेरिका ने इस सप्ताह आश्चर्यजनक तरीके से घोषणा की कि दोनों देश जलवायु सहयोग को बढ़ाएंगे। अमेरिका और चीन दुनिया के दो सबसे बड़े कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जक हैं। दोनों वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों ने यह घोषणा ग्लासगो में जारी सीओपी26 जलवायु सम्मेलन में बुधवार को की थी। पिछली बार बाइडन और शी ने सितंबर में फोन पर बात की थी, जो करीब 90 मिनट तक चली थी। दोनों नेताओं ने फरवरी में भी दो घंटे तक बातचीत की थी। वह इस साल जनवरी में बाइडन के पद संभालने के बाद से पहला फोन कॉल था।
शी और बाइडन के बीच डिजिटल सम्मेलन की संभावित योजना बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और चीन के शीर्ष राजनयिक यांग जियेची की स्विट्जरलैंड में छह घंटे तक चली बैठक का परिणाम है। इससे कुछ दिन पहले ही बीजिंग ने ताइवान के रक्षा क्षेत्र में बड़ी संख्या में युद्धक विमान भेजे थे। राष्ट्रपति शी कोविड-19 महामारी के चलते देश से आवाजाही को पाबंद करने के बाद से पिछले 21 महीने से चीन से नहीं निकले हैं। उन्होंने अक्टूबर में जी20 सम्मेलन में भाग नहीं लिया और इस महीने स्कॉटलैंड में जलवायु सम्मेलन में भी शिरकत नहीं की।