वॉशिंगटन: पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई ने सीआईए को वह खुफिया सूचना मुहैया की थी, जिसने पाकिस्तान में अमेरिका को अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन का पता लगाने और उसे मार गिराने में मदद पहुंचाई। प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को एक महत्त्वपूर्ण खुलासा करते हुए यह जानकारी दी। बतौर प्रधानमंत्री अपने पहले अमेरिकी दौरे पर पहुंचे खान ने इस बात का खुलासा फॉक्स न्यूज के साथ एक साक्षात्कार के दौरान किया। दरअसल, उनसे यह सवाल किया गया कि क्या उनका देश जेल में कैद पाकिस्तानी डॉक्टर शकील अफरीदी को रिहा करेगा जिन्होंने ओसामा का पता लगाने में सीआईए की मदद की थी।
खान का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि पाकिस्तान ओसामा के ठिकाने के बारे में कोई भी जानकारी होने से तब तक इनकार करता रहा था, जब तक कि दो मई 2011 को इस्लामाबाद के छावनी नगर ऐबटाबाद में यूएस नेवी सील की टीम ने एक अभियान में उसे मार नहीं गिराया। खान ने कहा, “वह आईएसआई थी जिसने वह सूचना दी थी जिससे ओसामा बिन लादेन के ठिकाने का पता चला था। अगर आप सीआईए से पूछें तो वह आईएसआई थी जिसने फोन पर शुरुआती स्थान के बारे में जानकारी दी।”
सवालों का जवाब देते हुए खान पाकिस्तानी डॉक्टर अफरीदी की रिहाई पर किसी तरह की प्रतिबद्धता जताने से कतराते रहे। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं। खान ने कहा कि अफरीदी की रिहाई पाकिस्तान के लिए “भावनात्मक मुद्दा” है क्योंकि देश में उन्हें अमेरिका का जासूस समझा जाता है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में हमने हमेशा से महसूस किया कि हम अमेरिका के सहयोगी हैं और अगर हमें ओसामा की सूचना होती, तो हम उसे बाहर निकाल कर लाए होते।”
खान ने कहा कि पाकिस्तान अमेरिका के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा था। ओसामा के ठिकाने पर धावा बोलना और उसकी हत्या किया जाना “पाकिस्तान के लिए बहुत अपमानजनक था।” खान ने कहा, “यहां हम अमेरिका के सहयोगी बने हुए थे और अमेरिका ने हम पर भरोसा नहीं किया। बल्कि, वे हमारी सीमा में घुसे और बम गिराए तथा एक व्यक्ति की हत्या कर दी।”
यह कहे जाने पर कि ओसामा एक व्यक्ति नहीं बल्कि 3,000 से ज्यादा अमेरिकियों की हत्या करने वाला आतंकवादी था, खान ने कहा कि पाकिस्तान ने इस लड़ाई (आतंकवाद के खिलाफ) में 70,000 लोग खोए हैं। खान ने कहा, “हम अमेरिका के लिए यह लड़ाई लड़ रहे थे और हमने इस लड़ाई के लिए लड़ते हुए इन सारे लोगों को खोया। इसलिए निश्चित तौर पर जिस तरह से चीजें की गईं उसे लेकर गुस्सा था। लेकिन ये सब पहले की बात है।”
उनसे जब यह कहा गया, “आप प्रधानमंत्री हैं, आप फैसला ले सकते हैं।” इस पर खान ने कहा, “लोकतंत्र में कुछ ऐसे फैसले होते हैं जिसे लेना प्रधानमंत्री के लिए भी मुश्किल होता है क्योंकि हमारे पास विपक्ष भी होता है। लेकिन यह कुछ ऐसा है कि जिस पर समय बीतने के साथ बात की जा सकती है।”