डलास: अमेरिका के एक भारतीय दंपती को तीन वर्षीय शेरीन मैथ्यूज गोद देने वाले भारत के अनाथालय की संचालक ने कहा है कि शेरीन को खाने संबंधी कोई समस्या नहीं थी। यह अनाथालय अब बंद हो चुका है। शेरीन का शव डलास में उसके माता पिता के घर से करीब आधा मील की दूरी पर एक सड़क के नीचे सुरंग से रविवार को मिला था। पुलिस और स्वयंसेवक सात अक्तूबर से बच्ची की तलाश कर रहे थे। जांचकर्ताओं ने बताया है कि उसके पिता वेस्ले मैथ्यूज ने शुरूआत में उन्हें बताया था कि उसने बच्ची को सात अक्तूबर को देर रात तीन बजे घर के बाहर एक पेड़ के निकट खड़े होने की सजा दी थी क्योंकि वह दूध नहीं पी रही थी। उसने कहा था कि वह 15 मिनट बाद उसे देखने गया था। (अभिनेत्री ने लगाया पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश पर गलत तरीके से छूने का आरोप)
मैथ्यूज ने पुलिस को बताया था कि बच्ची को जब गोद लिया गया था, उस समय वह कुपोषित थी और वह जब भी जागती थी, उस भोजन देने की आवश्यकता होती थी, ताकि उसका वजन बढ़ सके। इस बीच, अनाथालय की संचालक बबीता कुमारी ने टेलीविजन स्टेशन डब्ल्यूएफएए को बताया कि लड़की को कोई समस्या नहीं थी और बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया के दौरान वेस्ले और सिनी मैथ्यूज बहुत प्यार करने वाले माता पिता प्रतीत हो रहे थे। बबीता ने कहा, बच्ची जब यहां थी, उस समय उसे न तो दूध पीने में और न ही खाने में कोई समस्या थी। बच्चों को गोद देने में मदद करने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसी को जब कल फोन किया गया तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। ऐसा माना जा रहा है कि इसी एजेंसी ने शेरीन को गोद लेने में दंपती की मदद की थी।
वेस्ले मैथ्यूज के खिलाफ पहले बच्ची के जीवन को खतरे में डालने या उसे छोड़ने के आरोप लगाए गए थे। उन्होंने सोमवार को पुलिस के सामने अपना बयान बदलते हुए कहा कि बच्ची दूध पी रही थी और इसी दौरान गले में दूध अटकने के कारण उसका दम घुट गया और घर के गैरेज में उसकी मौत हो गई। इसके बाद वह उसके शव को बाहर लेकर गया। इसके बाद वेस्ले मैथ्यूज को गिरफ्तार कर लिया गया और उसके खिलाफ बच्ची को चोट पहुंचाने के आरोप लगाए गए जिनके साबित होने पर उसे आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।