न्यूयार्क: अमेरिका में भारतीय मूल की एक महिला को अपनी 12 साल की सौतेली बेटी को निर्ममता से प्रताडि़त करने और उसे डेढ़ साल से भी ज्यादा समय तक भूखा रखने का दोषी ठहराते हुए 15 साल कैद की सजा सुनाई गई है। क्वींस निवासी शीतल रानोत (35) को इस साल जुलाई में एक ज्यूरी ने प्रथम डिग्री के अपराध और एक बच्चे को खतरे में डालने का दोषी करार दिया। क्वींस सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रिचर्ड बचर ने कल रानोत को 15 साल कैद की सजा सुनाई।
रानोत की सौतेली बेटी माया को अकसर खाना नहीं दिया जाता था। एक बार उसे झाड़ू के हेंडल वाले हिस्से से इतना ज्यादा पीटा गया कि उसकी कलाई कट गई और हड्डी दिखाई देने लगी। उसे लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा और सर्जरी करवानी पड़ी। क्वींस के डिस्टि्रक्ट अटॉर्नी रिचर्ड ब्राउन ने कहा कि रानोत एक बुरी सौतेली मां का सबसे बड़ा उदाहरण है। उसने न सिर्फ बच्चे को उसके लिए जरूरी मूल पोषण उपलब्ध करवाने से मना किया बल्कि लड़की को निर्दयता के साथ पीटा और प्रताडि़त भी किया। उसके शरीर पर मौजूद निशान उसके दर्द को आज भी बयां करते हैं। बच्ची की उम्र 12 साल है और उसका वजन महज 58 पाउंड है। किसी भी बच्चे के साथ इस तरह का बर्ताव नहीं किया जाना चाहिए।
माया के पिता राजेश रानोत पर भी बच्चे पर हमले, उसे अवैध रूप से कैद में रखने और उसके कल्याण को खतरे में डालने का आरोप लगाया गया है। उसपर मुकदमा बाद में चलाया जाएगा। रानोत अपनी सौतेली बेटी को ज्यादा से ज्यादा दर्द देने के लिए उसके शरीर और चेहरे पर बार-बार चोट करती थी। दिसंबर 2012 और मई 2014 के बीच, उसने बच्ची को बेडरूम में बंद भी कर दिया था और लंबे समय तक उसे खाना देने से भी मना कर दिया था। एक बार रानोत ने बच्ची के चेहरे पर जूते पहने हुए लात मारी , जिससे उसे असहनीय कष्ट हुआ और उसकी आंख सूज गई।
एक अन्य घटना में, उसने माया के चेहरे पर बेलन मारा, जिससे उसके बाएं गाल पर घाव और सूजन आ गई और उसे भारी दर्द झेलना पड़ा। बच्ची को स्थानीय क्वींस अस्पताल में इलाज कराना पड़ा और डॉक्टरों ने पाया कि उसका वजन सामान्य से कम था। तीसरी घटना झाड़ू के हैंडल से मारने वाली है। जब चिकित्साकर्मी इस परिवार के घर पहुंचे तो माया खून से लथपथ हालत में रसोई में पड़ी थी और उसकी बाईं कलाई की नसें तक बाहर दिख रही थीं। बच्ची की कलाई की सर्जरी हुई और घुटने में टांके लगे।