न्यूयॉर्क: कंसास में भारतीय इंजीनियर की जाहिरा तौर पर घृणा अपराध के तहत की गयी हत्या ने अमेरिका में रहने वाले प्रवासी भारतीयों की चिंताएं और बढ़ा दी है। यहां रहने वाले भारतीय ट्रंप प्रशासन की कार्य वीजा नीति को कड़ा बनाने संबंधी प्रस्ताव को लेकर पहले से चिंतित हैं। लगभग एक दशक से एच1बी वीजा के तहत काम कर रहे भारतीय अपने ग्रीन कार्ड को मंजूरी दिये जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं लेकिन अमेरिकी कांग्रेस में पेश किये जा रहे विधेयकों और वीजा कार्यक्रम में आमूल चूल परिवर्तन से संबंधित प्रस्तावित कार्यकारी आदेशों से उनका भविष्य अधर में दिख रहा है। कंसास में भारत के 32 वर्षीय इंजीनियर श्रीनिवास कुचीबोतला और उनके साथी आलोक मदसानी पर अमेरिकी नौसेना के एक पूर्व जवान द्वारा किये गये जाहिरा तौर पर नस्ली हमले की दुखद घटना से उनकी परेशानी और बढ़ गयी है। इस घटना में कुचीबोतला की मौत हो गयी थी जबकि मदसानी गंभीर रूप से घायल हो गये थे।
फ्लोरिडा में एक प्रमुख आईटी कंपनी में काम करने वाले 34 वर्षीय वेंकटेश ने कहा कि वह पिछले दस वर्षों से अमेरिका में रह रहे हैं और उनको ग्रीन कार्ड मिलने ही वाला है। दो बच्चों के पिता ने अपना उपनाम और कंपनी का नाम सार्वजनिक करने से इनकार करते हुए कहा कि अब वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि उनको ग्रीन कार्ड मिलेगा क्योंकि ट्रंप प्रशासन वीजा कार्यक्रम को बदलने के करीब है।
उन्होंने कहा कि वह और उनकी डॉक्टर पत्नी भारत वापस लौटने पर विचार कर रहे हैं क्योंकि वे नहीं चाहते हैं कि अमेरिका में रहने को लेकर अनिश्चितता से उनके बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो। वेंकटेश ने कहा कि कुचीबोतला की हत्या से समुदाय में दहशत और असहजता का माहौल है। उन्होंने कहा, अब हम अपनी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। कंसास की दुखद घटना ने हमारे डर को सही साबित किया है।
वेंकटेश की तरह ही ग्रीन कार्ड की प्रतीक्षा कर रहे कई अन्य भारतीय भी नौकरी खोने और देश छोड़ने की आशंका में वैकल्पिक योजना की तलाश कर रहे हैं। न्यू जर्सी में रहने वाले एक अन्य सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि उन्होंने अमेरिका में अनिश्चितता के माहौल को देखते हुए अपने जीवन के कई अहम फैसलों को फिलहाल के लिए टाल दिया है।