संयुक्त राष्ट्र: भारत ने पश्चिम एशिया में तेजी से नाजुक एवं अप्रत्याशित होती स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा है कि आतंकवाद और चरमपंथ के बढ़ते खतरे ने क्षेत्र की जटिलताएं बढ़ा दी हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पश्चिम एशिया में हालात के मुद्दे पर एक बहस में हिस्सा लेते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी उप प्रतिनिधि तन्मय लाल ने कहा कि पश्चिम एशिया की स्थिति गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है और यह तेजी से कमजोर और अप्रत्याशित होती जा रही है।
उन्होंने कहा, आतंकवाद और चरमपंथ के बढ़ते खतरों ने क्षेत्र में स्थितियों की जटिलता को बढ़ा दिया है। इन्होंने लंबे समय से चले आ रहे विवादों को और भी विकृत बना दिया है। लाल ने कहा कि सबसे पुराने संघर्षों में इस्राइल और फलस्तीन का संघर्ष शामिल है। वार्ताएं दो साल से लंबित हैं और उनके कम से कम हालिया भविष्य में बहाल होने के कोई संकेत नहीं मिल रहे। उन्होंने कहा, दोनों पक्षों की ओर से हिंसा बढ़ने पर और संयम एवं संतुलन के अभाव में स्थिति बिगड़ती हुई नजर आ रही है। फलस्तीनी क्षेत्रों में खराब मानवीय स्थितियों और इस्राइल में हिंसा से निपटने के लिए जरूरी है कि शांति वार्ताएं बहाल करने के लिए वैश्विक समुदाय की ओर से तत्काल एवं स्थायी प्रयास किए जाएं।
लाल ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था, कि इस्राइल और फलस्तीन दोनों के लोगों के लिए चिरस्थायी शांति, सुरक्षा एवं सम्मान लाने की दिशा में द्विराष्ट्रीय समाधान के लिए साहसपूर्ण कदम उठाए जाने जरूरी हैं।
उन्होंने कहा, क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए द्विराष्ट्र का उपाय एकमात्र उपयुक्त विकल्प है। यह सुनिश्चित करना दोनों पक्षों की जिम्मेदारी है कि वे समाधान से दूर न जाएं बल्कि उसके करीब आएं। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दोनों पक्षों के लोगों की मदद के अपने संकल्प के प्रति दृढ़ होना चाहिए और सुरक्षा परिषद को इस क्रम में पहल करनी चाहिए। सीरिया के बारे में लाल ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि सभी पक्षों की भागीदारी के साथ इस संघर्ष का समग्र राजनीतिक हल निकाला जाएगा।