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भारत का बड़े रक्षा सहयोगी का दर्जा अमेरिका के साथ संबंध प्रगाढ़ करेगा: कार्टर

वाशिंगटन: अमेरिका के रक्षामंत्री एश्टन कार्टर ने कहा है कि भारत को दिया गया बड़े रक्षा सहयोगी का दर्जा अमेरिका को रणनीतिक एवं तकनीकी दोनों ही क्षेत्रों में उसके साथ सहयोग करने में मदद करेगा।

Bhasha
Updated : August 30, 2016 15:20 IST
Ash Carter, Parrikar- India TV Hindi
Ash Carter, Parrikar

वाशिंगटन: अमेरिका के रक्षामंत्री एश्टन कार्टर ने कहा है कि भारत को दिया गया बड़े रक्षा सहयोगी का दर्जा अमेरिका को रणनीतिक एवं तकनीकी दोनों ही क्षेत्रों में उसके साथ सहयोग करने में मदद करेगा। यह सहयोग उसी तरह का होगा, जैसा वह अपने करीबी एवं पुराने सहयोगियों के साथ करता है। कार्टर ने रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ संवाददाता सम्मेलन के दौरान पेंटागन के संवाददाताओं से कहा, सबसे पहले, रक्षा साझेदारी समझौते के हिसाब से यह एक बड़ा टिकाउ बदलाव है। यह 50 साल के इतिहास से एक बड़ा बदलाव है। यह महज कुछ महीने पहले के समय की तुलना में एक बड़ी प्रगति है।

कार्टर ने कहा, और इसका निष्कर्ष यह है कि यह अमेरिका और भारत को सहयोग करने देगा। अमेरिका के नजरिए से कहा जाए तो यह सहयोग कुछ उस तरह से होगा, जैसा हम सिर्फ अपने करीबी एवं बेहद पुराने सहयोगियों के साथ करते हैं। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है। जून में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात की थी, तब अमेरिका ने भारत को एक बड़े रक्षा साझेदार का दर्जा दिया था। उन्होंने कहा, आज की हमारी बैठक से पहले भारत की सरकार ने हमें एक बहुत बड़ा, विस्तृत और रचनात्मक पत्र भेजा है, जिसमें यह बताया गया है कि बड़े रक्षा साझेदारी समझौते को कैसे लागू किया जाए। बड़ी रक्षा साझेदारी को लागू करने के लिए यह एक शानदार आधार है। बड़े रक्षा सहयोगी के दर्जे ने उन पुराने अवरोधकों को तोड़ दिया है, जो रक्षा, रणनीतिक सहयोग के आड़े आते थे। इस रणनीतिक सहयोग में सह-उत्पादन, सह-विकास परियोजनाएं एवं अभ्यास शामिल हैं।

अमेरिकी सरकार के फैसले की सराहना करते हुए पर्रिकर ने कहा, हमारी आज की चर्चाओं में, हमने इस बात पर गौर किया कि किस तरह यह रक्षा प्रौद्योगिकी और उत्पादन में हमारी साझेदारी को उर्जा और गति प्रदान कर सकता है। हम हमारी रक्षा कंपनियों के बीच संबंधों को प्रोत्साहन देने वाले एक दक्ष तंत्र को स्थापित करने के प्रयासों को जारी रखने पर सहमत हुए हैं। पर्रिकर ने कहा कि अमेरिका रक्षा उपकरणांे के भारत के प्राथमिक स्रोतों में से एक है और उसने अपने कई अहम मंचों को साझा किया है। उन्होंने कहा कि वह बड़ी सहयोगी परियोजनाओं के लिए इसे आगे ले जाना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल :डीटीटीआई: की व्यापकता और गतिविधियों को महत्वपूर्ण ढंग से विस्तार देने का फैसला किया। कार्टर ने कहा कि यह दर्जा दरअसल अमेरिका और भारत के पिछले साल के रक्षा संबंध के मसविदे की सफलता पर आधारित है।

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