वॉशिंगटन: भारत और पाकिस्तान के बीच अगर परमाणु युद्ध हुआ तो एक सप्ताह से कम समय के भीतर ही 50 लाख से 12.5 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। यह संख्या छह साल चले दूसरे विश्व युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या के मुकाबले बहुत ज्यादा होगी। इतना ही नहीं, इससे दुनियाभर में जलवायु संबंधी आपदाएं भी आएंगी।
कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय और रुतगेर्स विश्वविद्यालय के विश्लेषकों के एक अध्ययन में यह विश्लेषण किया गया है कि अगर भविष्य में ऐसा युद्ध हुआ तो उसकी विभीषिका और कुप्रभाव कैसा तथा क्या होगा। नई दिल्ली द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद दोनों देशों के मध्य बढ़े तनाव के बीच विश्लेषकों ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के पास फिलहाल करीब 150-150 परमाणु हथियार हैं और 2025 तक इनकी संख्या बढ़कर दोनों देशों के पास लगभग 200-200 तक हो सकती है।
कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर ब्रायन टून ने कहा, ‘‘भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध दुनिया में मृत्यु दर को दोगुना कर सकता है।’’ टून ने कहा, ‘‘यह ऐसा युद्ध होगा जिसका मानव अनुभव में कोई उदाहरण नहीं होगा।’’ रुतगेर्स विश्वविद्यालय-न्यू ब्रुंसविक के एलन रोबॉक ने कहा, ‘‘ऐसे युद्ध से सिर्फ उन जगहों को खतरा नहीं होगा जहां बम गिराए जाएंगे, बल्कि पूरी दुनिया को खतरा होगा।’’
‘साइंस एडवांस’ पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध के परिदृश्य पर ध्यान दिया गया है जो 2025 में हो सकता है। अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि वैसे तो दोनों देशों के बीच कश्मीर को लेकर कई युद्ध हुए हैं लेकिन 2025 तक उनके पास कुल मिलाकर 400 से 500 परमाणु हथियार होंगे। इसमें कहा गया है कि यदि युद्ध हुआ तो धरती पर पहुंचने वाली सूर्य की रोशनी में 20 से 35 प्रतिशत तक की कमी आएगी और इस ग्रह का तापमान 2 से 5 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाएगा।
अध्ययन में कहा गया है कि यह परमाणु युद्ध होने पर पूरी दुनिया में वर्षा में 15 से 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है जिसके व्यापक क्षेत्रीय प्रभाव होंगे। इतना ही नहीं धरती पर पेड़-पौधों की संख्या में भी 15 से 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है और समुद्री जीवन में 5 से 15 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। इसमें कहा गया है कि इस युद्ध के सीधे प्रभाव के चलते एक सप्ताह से कम समय के भीतर ही 50 लाख से 12.5 करोड़ लोगों की जान जा सकती है। इसके साथ ही इससे दुनियाभर में फैलने वाली भुखमरी जैसे अतिरिक्त कारणों से मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।