न्यूयॉर्क: भारत ने क्यूबा पर 5 दशक से अधिक समय से अमेरिका द्वारा लगाए गए आर्थिक, वाणिज्यिक और वित्तीय प्रतिबंध को जल्द वापस लेने की मांग करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का समर्थन करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का साथ दिया है। अमेरिका और इस्राइल के अलावा 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र में 191 देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। यह प्रस्ताव क्यूबा के खिलाफ अमेरिका द्वारा लगाए गए आर्थिक, वाणिज्यिक और वित्तीय प्रतिबंध समाप्त करने की आवश्यकता को लेकर था।
शीतयुद्ध के चरम पर रहने के दौरान अमेरिका ने क्यूबा पर 1959 में व्यापार प्रतिबंध लगाया था। यह प्रतिबंध लागू रहा है और इसे अमेरिकी कांग्रेस द्वारा ही हटाया जा सकता है। अमेरिकी कांग्रेस ने इस तरह के कदम को दृढ़तापूर्वक खारिज किया है। प्रस्ताव को पेश करते हुए क्यूबा के विदेश मंत्री ब्रूनो एडुवर्डो रोड्रिग्ज पार्रिला ने आरोप लगाया कि क्यूबा के संबंध में अमेरिका की नई नीति की मंशा संबंधों को अतीत के टकराव की ओर वापस ले जाने की है। गौरतलब है कि पिछले साल अमेरिका और इस्राइल 1992 में यह प्रस्ताव पेश किए जाने के समय से पहली बार मतदान से अनुपस्थित रहे थे। भारत क्यूबा को लेकर अपने रुख पर कायम रहा है।
इस मुद्दे पर भारत के रुख को रखने के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर भारत का बहुपक्षवाद में भरोसा है। वह अपरदेशीय प्रभाव वाले घरेलू कानून को साफ तौर पर खारिज करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ है।’ उन्होंने कहा कि प्रतिबंध जारी रहने से व्यापक 2030 एजेंडा को लागू करने की क्यूबा की क्षमता पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रतिबंधों से मुक्त वातावरण को प्रोत्साहन देने के लिए अपने प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता है। बंदोपाध्याय ने कहा, ‘भारत यथाशीघ्र इस प्रतिबंध को वापस लिए जाने की उम्मीद करता है।’ उन्होंने बताया कि भारत ने प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया।