संयुक्त राष्ट्र: भारत ने अफगानिस्तान में तबाही और हिंसा फैलाने वाले तालिबान के नए नेताओं पर प्रतिबंध नहीं लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की कड़ी आलोचना की। इसके साथ ही भारत ने अफगानिस्तान में आंतकवाद को लेकर इशारो ही इशारों में पाकिस्तान पर भी निशाना साधा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन में काउंसलर एनम गंभीर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान में हालात को लेकर हुई चर्चा के दौरान कहा कि यह स्पष्ट हो चुका है कि अफगानिस्तान में हमलों की योजना बनाने वाले आतंकवादियों की अमन में कोई दिलचस्पी नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘उनका लक्ष्य कुछ और ही है। आतंकी और उनके समर्थकों ने अपने नियंत्रण वाले भू-भाग पर मादक पदार्थों और अवैध खनन का उद्योग खड़ा कर दिया है। वे अफगानिस्तान के लोगों के संसाधन चुराकर हिंसा और आतंकवाद को पोषित कर रहे हैं।’ गंभीर ने कहा कि अफगानिस्तान के लोग बेहतर जीवन और शांतिपूर्ण भविष्य चाहते हैं लेकिन उनके सामने हाल के दिनों में चुनौतियां बढ़ी हैं। उन्होंने हाल ही में जारी वैश्विक आतंकवाद सूचकांक का उल्लेख किया। सूचकांक में अफगानिस्तान को आतंकवाद के मामले में दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया गया था। इसके मुताबिक 2017 के दौरान दुनियाभर में आतंकवाद के कारण हुई कुल मौतों में से एक-चौथाई मौतें अकेले अफगानिस्तान में ही हुई हैं।
अफगानिस्तान को लेकर संयुक्त राष्ट्र की कोशिशों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए गंभीर ने कहा, ‘इन चुनौतियों के बावजूद संयुक्त राष्ट्र ने इस समस्या के स्रोत से निबटने के लिए संकल्प नहीं दिखाया है। सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति तालिबान के नये नेताओं पर प्रतिबंध लगाने या तालिबान के मारे जा चुके नेताओं की संपत्ति जब्त करने से इनकार कर अफगानिस्तान और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की उम्मीदों पर खरी उतरने में नाकाम रही है। पिछले उदाहरणों से हम यह जानते हैं कि अफगानिस्तान में अमन और पूरे विश्व में शांति और सुरक्षा आपस में जुड़े हैं।’
गंभीर ने इशारों ही इशारों में पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा इन हमलों की योजना बनाने और इन्हें अंजाम देने का काम आतंकियों की सुरक्षित पनाहगाह बन चुके अफगानिस्तान के पड़ोस की ओर से किया जा रहा है। यहीं पर वर्षों से तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा और इनसे जुड़े प्रतिबंधित संगठनों लश्कर-ए-तैय्यबा तथा जैश-ए-मोहम्मद को पनाह दी जा रही है।