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भारत ने दी चेतावनी, तालिबान से बातचीत करने में जल्दबाजी न करे अमेरिका

अमेरिका ने हाल ही में तालिबान के साथ बातचीत के जरिए मसलों को हल करने में काफी दिलचस्पी दिखाई है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 21, 2019 6:35 IST
India cautions against hasty United States peace deal with Taliban | AP File- India TV Hindi
India cautions against hasty United States peace deal with Taliban | AP File

संय़ुक्त राष्ट्र: अमेरिका ने हाल ही में तालिबान के साथ बातचीत के जरिए मसलों को हल करने में काफी दिलचस्पी दिखाई है। आपको बता दें कि कतर में अमेरिका और तालिबान के बीच नए दौर की बातचीत शुरू होने वाली है। इस बीच भारत ने आतंकी समूह के साथ जल्दबाजी में बातचीत को लेकर चेताया है जो अफगानिस्तान के श्रेष्ठ हितों के बजाय वाशिंगटन की समयसीमा को समर्पित है। सुरक्षा परिषद में बुधवार को भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह को खत्म करना शांति समझौते को आगे बढ़ाने की एक पूर्व शर्त है। 

अफगानिस्तान के गृहयुद्ध को समाप्त करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का स्वागत करते हुए, उन्होंने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि कोई घटनाक्रम की तात्कालिकता के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन यह शायद अफगानिस्तान के लोगों की जरूरत के हिसाब से नहीं है।’ उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि आतंकवादी संगठनों को उस मजबूत स्थिति से वार्ता करने की इजाजत नहीं दी जा सकती, जो पाकिस्तान द्वारा उन्हें मुहैया कराए गए पनाहगाहों से मिलती है। अकबरुद्दीन ने हालांकि अमेरिका या पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्हें दिया गया उनका संदेश स्पष्ट था।

उन्होंने कहा, ‘हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि जो समूह सीमापार से हिसा और आतंकी गतिविधि के लिए समर्थन और सुरक्षित पनाहगाह प्राप्त कर रहे हैं, उन्हें फायदेमंद जगह से बातचीत की इजाजत दी जाए। आतंकी नेटवर्क को मुहैया कराए गए सुरक्षित पनाहगाह को वास्तविक और स्थायी शांति के लिए सुलझाए जाने की जरूरत है। तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, इस्लामिक स्टेट (ISIS) और यहां तक कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद समेत अलकायदा और इसके संबंधित समूह को समाप्त करने की जरूरत है।’

वॉशिंगटन तालिबान के साथ एक शांति समझौते पर पहुंचना चाहता है, ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अफगानिस्तान में अमेरिकी संलिप्तता को समाप्त करने और जवानों को वापस घर बुलाने के अपने चुनावी वादे को पूरा कर सके। यहां अगले वर्ष होने वाले चुनाव के लिए प्रचार अभियान के मद्देनजर ट्रंप यह कोशिश कर रहे हैं।

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