वॉशिंगटन: अमेरिका में हिंदुओं के एक शीर्ष निकाय ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका के एक आयोग पर ऐसी बैठकें करने का आरोप लगाया है जिनमें भारत के संशोधित नागरिकता कानून (CAA) की मंशा और प्रभाव पर गलत सूचनाएं दी गईं। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने CAA पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह देश में ‘बड़े पैमाने पर मुस्लिमों के मताधिकार छीनने’ का कारण बन सकता है। हालांकि USCIRF का यह बयान पूरी तरह गलत है क्योंकि सीएए में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे किसी का मताधिकार छीना जा सके।
दिल्ली हिंसा पर भी की थी हवा-हवाई बातें
भारतीय संसद द्वारा दिसंबर 2019 में पारित किया गया नया नागरिकता कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले गैर मुस्लिमों को नागरिकता की पेशकश करता है। भारत सरकार यह कहती आ रही है कि CAA देश का आंतरिक मामला है। दूसरी तरफ अमेरिकी आयोग ने दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर भी ऐसी टिप्पणियां की जिससे इस मुद्दे पर उसकी कम जानकारी ही पता चलती है। बता दें कि USCIRF पहले भी भारत को लेकर कई ऐसी बयानबाजी कर चुका है जिनका हकीकत से कोई लेना-देना नहीं होता।
‘USCIRF दे रहा है गलत जानकारी’
आयोग के सदस्यों के अलावा विशेषज्ञों के आमंत्रित पैनल ने सीएए और म्यांमार में रोहिंग्या मुद्दों पर केंद्रित एक बैठक की ताकि इन मुद्दों के जवाब में अमेरिकी सरकार के लिए नीति अनुशंसाएं विकसित करने में मदद मिले। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) के प्रबंध निदेशक समीर कालरा ने कहा, ‘यह बेहद अफसोस की बात है अमेरिका के सरकारी निकाय जैसे USCIRF भारत के सीएए की मंशा एवं प्रभाव पर गलत सूचना देने के लिए बैठकें कर रहे हैं। यह (USCIRF सुनवाई) मीडिया और कुछ अमेरिकी सांसदों के गैर जिम्मेदाराना बयानों को और बल देता है जिसने भारत में तनाव एवं हिंसा को और बढ़ाया ही है।’