संयुक्त राष्ट्र: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा है कि पाकिस्तान को अच्छे और बुरे आतंकवाद में फर्क करने की मानसिकता को बदलने की जरूरत है। सुरक्षा परिषद से भारत ने अपील की कि वह सीमा पार पनाहगाहों में बैठे आतंकवादियों की ओर से उत्पन्न चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने शुक्रवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की एक उच्चस्तरीय बैठक में कहा कि आतंकवादी मानसिकता में बदलाव लाकर ही अफगानिस्तान में शांति लाई जा सकती है।
अकबरुद्दीन ने कहा, ‘आतंकवाद और बाहर से पैदा की गई अस्थिरता अफगानिस्तान की शांति, स्थिरता और संपन्नता के लिए सबसे गंभीर खतरा है और आतंकवाद का बढ़ता दायरा हमारे पूरे क्षेत्र के लिए खतरा है।’ उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और विकास के लिए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। अकबरुद्दीन ने कहा कि इन लक्ष्यों को प्राप्त करने और शांति के प्रसार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर 2015 में अफगानिस्तान में भारत द्वारा निर्मित संसद भवन के उद्घाटन के बाद स्वदेश लौटते समय लाहौर में रुके थे। लेकिन हर रोज अफगानिस्तान के उत्साह पर हमला करने वाली उसी मानसिकता ने महज एक सप्ताह के भीतर ही पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमला कर दिया था।
उन्होंने कहा, ‘यह मानसिकता 'अच्छे' और बुरे आतंकवादियों के बीच फर्क करती है। यह मानसिकता नहीं चाहती कि शांति कायम रहे। यह मानसिकता हमारे देश और हमारे युवाओं के लिए एक साझा भविष्य के निर्माण के लिए क्षेत्र को आगे बढ़ाने में सहयोग नहीं करना चाहती।’ अकबरुद्दीन ने कहा, ‘अफगानिस्तान में एक कहावत है जिसका सीधा मतलब यह होता है कि अगर निचले इलाके का पानी गंदा हो गया हो तो बिना समय गंवाए ऊंचाई पर जाकर इसे साफ कर लेना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में शांति के लिए सिर्फ समर्थन में आवाज उठाना ही काफी नहीं है, हमारे क्षेत्र और अफगानिस्तान को सीमा पार पनाहगाहों से उत्पन्न आतंकी चुनौतियों का समाधान करने पर भी ध्यान देने की जरूरत है।